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ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने

फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन/फ़इलुन

ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने
तेरी तस्वीर तसव्वुर से बनाई मैंने

ख़ाक पड़ जाएगी कितने ही हसीं चहरों पर
आईने से जो कभी गर्द हटाई मैंने

मुझको पाबंदियाँ ओरों की गवारा ही नहीं
ख़ुद ही अपने लिये ज़ंजीर बनाई मैंने

अपनी ग़ज़लों से संवारूँगा ये बज़्म-ए-हस्ती
उम्र सारी इसी चक्कर में गँवाई मैंने

अर्श हिलता है ,ज़मीं काँपने लगती है,यही
आह-ए-मज़लूम की तासीर बताई मैंने

वो भी बैज़ार नज़र आने लगे अब तो "समर"
छोड़ दी जिनके लिये सारी ख़ुदाई मैंने

"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Samar kabeer on May 20, 2015 at 3:40pm
जनाब मदन मोहन सक्सेना जी ,आदाब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Madan Mohan saxena on May 20, 2015 at 2:49pm

मुझको पाबंदियाँ ओरों की गवारा ही नहीं
ख़ुद ही अपने लिये ज़ंजीर बनाई मैंने

अपनी ग़ज़लों से संवारूँगा ये बज़्म-ए-हस्ती
उम्र सारी इसी चक्कर में गँवाई मैंने

बहुत खुबसुरत

Comment by Samar kabeer on May 20, 2015 at 11:17am
जनाब विजय निकोरे जी ,आदाब,ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ,आपकी कमेंट मेरे बेटे से ग़लती से डिलिट हो गई है,इस बात को अन्यथा न लें ।
Comment by Samar kabeer on May 20, 2015 at 11:14am
बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरमा सविता मिश्रा जी
Comment by Samar kabeer on May 20, 2015 at 11:13am
जनाब श्री सुनील जी ,आदाब,ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफ़ज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on May 20, 2015 at 11:10am
आली जनाब डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी,आदाब,ग़ज़ल में आपकी शिर्कत के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

समीर नहीं -समर
Comment by savitamishra on May 19, 2015 at 10:57pm

बहुत खुबसुरत

Comment by shree suneel on May 19, 2015 at 9:59pm
ख़ुद ही देखी है किसी को न दिखाई मैंने
तेरी तस्वीर तसव्वुर से बनाई मैंने/ .. क्या बात है!

अर्श हिलता है ,ज़मीं काँपने लगती है,यही
आह-ए-मज़लूम की तासीर बताई मैंने/.. बहुत ख़ूब आदरणीय. उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई आपको.
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2015 at 3:54pm

बहुत उम्दा  समीर साहेब , आदाब अर्ज .

Comment by Samar kabeer on May 19, 2015 at 10:11am
जनाब वीनस केसरी जी ,आदाब,ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफ़ज़ाई के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ।

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