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गरीबी का फोड़ा (लघुकथा )

मजदूरी करके जितना भी कमाता , आधी से ज्यादा बेटे के पढ़ाई के लिये लगाता । पिता के फर्ज़ से वह उरिन होना चाहता था । गरीबी सदा जिंदगी को जटिल बनाने के लिये अपना मोर्चा संभाले रहती है । बेटे का मन आस पडोस के लडकों में रमा रहता । फिर भी पिता अपनी आस को रबड़ के भाँति खींच कर पकडे़ हुए था ... कि एकदिन बेटा बडा होकर उसका मर्म जान पायेगा । आज दसवीं का रिजल्ट आने वाला था । पूजा घर में माँ बेटे के लिए प्रार्थना में लगी रही सुबह से । रिजल्ट आते ही घर में सब जकड़न टुट गई । विजय ने अपनी हार का ठीकरा पिता के गरीबी पर जा फोड़ा था । गरीबी कलेजे पर फोड़े के मवाद की तरह बह निकली थी ।


कान्ता राॅय
भोपाल
मौलिक और अप्रकाशित

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Comment by kanta roy on May 18, 2015 at 11:11pm
बिलकुल सही कहा आपने चाहतो और इच्छा के बारे में आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेय जी , आभार आपको
Comment by Shubhranshu Pandey on May 15, 2015 at 10:29am

आदरणीया कान्ता जी, 

सुन्दर कथा. चाहत और इच्छा कब किसके साथ किस रुप में आती हैं ये नहीं जाना जा सकता. 

सादर.

Comment by kanta roy on May 14, 2015 at 4:24pm
कथा पसंदगी के लिए हृदय तल से आभार आपको आदरणीय कृष्णा मिश्रा 'जान गोरखपुरी ' जी
Comment by kanta roy on May 14, 2015 at 3:48pm
हकीकत का बल सच में बलवान होता ही है आदरणीय अंकित जी .... आपकी चंद पंक्तियाँ जीवन के यथार्थ का बोध कराती है । बहुत ही उम्दी सोच है आपकी
Comment by kanta roy on May 14, 2015 at 3:44pm
आभार आपको आदरणीय निर्मल नदीम जी कथा पसंदगी के लिए
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 14, 2015 at 3:34pm

भाई अंकित तोमर जी अपनी रचना को 'ब्लॉग' सेक्शन में अपने नाम के बांये तरफ ADD बटन को क्लिक कर पोस्ट करें!

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Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 14, 2015 at 3:26pm

बहुत ही बेहतरीन लघुकथा! हार्दिक बधाई आ० कांता जी!

Comment by ankit tomar on May 14, 2015 at 6:43am
चला मै चाँद सूरज मिलने. कठोर मक़ाम तन्हा. मंजिले बुलंदियों पर थी और रास्ता ढलान था. सपना टुटा सपनो में क्योंकि सपनो क जहाँ था जीत गयी हकीकत क्योंकि हकीकत का बल बलवान था. आँख खुली तो पाया आवास मेरा हिन्दुस्तान था जहां गूंज थी प्रेम की प्रेम का आह्वान था. ....ye ik phli kosish hai apka sneh ashirwad ki jrurat hai!
Comment by Nirmal Nadeem on May 13, 2015 at 11:53pm
अति उत्तम । बधाई।
Comment by kanta roy on May 13, 2015 at 11:45pm
आदरणीय गोविंद पंडित जी आभार कथा पसंदगी के लिए

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