For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अपेक्षा का दीप

अपेक्षा का दीप
मैंने अपनी अपेक्षा का दीप जलाया घर में
बुझे दीप न तेज हवा से सुरक्षा बाढ़ लगाया।
लक्ष्य को छूने का दृढ़ संकल्प लिया मन में
त्याग और बलिदान से प्रेरित मंत्र अपनाया ।
छल,कपट,ईर्ष्या कभी टिके नहीं अंतस्थल में
नैतिक मूल्यों के संस्कार का आवृत्त बनाया ।
मैंने अपनी अपेक्षा का दीप जलाया घर में
दया धर्म सद्भाव बढ़े आज सभी के जीवन में
अपेक्षा की आस लिए मैंने एक दीप जलाया।
स्नेह का तेल भरा ज्योति ज्ञान की जीवन में
मन में धीरज रखकर प्यार का हाथ बढ़ाया
मैंने अपनी अपेक्षा का दीप जलाया घर में
जीवन साथी का साथ जीत दिलाया दुनिया में
अंधकार से राहत देगा ये आस जगी मन में
छोटी-छोटी आशाओं से मनको खूब सजाया
नाना खुशियों की अपेक्षा को पाल हृदय में
मैंने अपनी अपेक्षा का दीप जलाया घर में
तन की पीड़ा हर लेगा जलते ही एक क्षण में
बहती हवा का झोका सहकर मैंने दीप बचाया
अंग अंग में चोटें आयीं कभी न मन घबराया
हंस कर सब कुछ बाँट लिया मैंने अगले पल में
मंजिल की सब बाधा तोड़ राह आसान बनाया
मैंने अपनी अपेक्षा का दीप जलाया घर में
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 412

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 11, 2015 at 9:37am

बहुत सुन्दर  प्रस्तुति . बधाई .

Comment by Ram Ashery on May 10, 2015 at 12:56pm

आपको सहृदय धन्यवाद मेरी रचना पढ़ने और प्रोत्साहन के लिए  अपने विचार रखने के लिए 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 10, 2015 at 12:39pm

अच्छी  प्रस्तुति . बधाई .

Comment by Samar kabeer on May 10, 2015 at 10:23am
जनाब राम आश्रय जी ,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service