For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

असर क्या करेंगी अलाये-बलाये /// गजल (एक प्रयास )

मुतकारिब मुसम्मन सालिम

१२२   १२२   १२२   १२२

तुम्हे आज प्रिय नीद ऐसी सुलायें

झरें इस जगत की सभी वेदनायें I  

 

नहीं है किया काम बरसो से अच्छा   

चलो नेह  का एक दीपक जलायें I

 

गरल प्यार में इस कदर जो भरा है  

असर  क्या  करेंगी अलायें-बलायें  I  

 

तुम्हारी  अदा है  धवल -रंग ऐसी   

कि शरमा गयी चंद्रमा की कलायें I

 

जगी आज ऐसी विरह की तड़प है

सहम सी गयी  है सभी चेतनायें I

 

नहीं याद करता शुभे अब तुम्हारी  

हमी मौन रो लें तुम्हें क्यों रुलायें I

 

चलो आज ‘गोपाल’ नजदीक बैठो

हमीं जाम इस शाम तुमको पिलायें I

.

(मौलिक व् अप्रकाशित )

Views: 1098

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 7:22pm

आ0  दिनेश कुमार जी

बहुत आभार

Comment by दिनेश कुमार on April 6, 2015 at 6:51pm
अत्युत्तम ..!! वाह वाह वाह, आदरणीय गोपाल सर जी। लाजवाब ग़ज़ल के लिए मेरी तरफ से भी ढेरों दाद व मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए।
Comment by Nirmal Nadeem on April 6, 2015 at 1:18pm

बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है जनाब बहुत ही सुंदरता  निभाया है आपने।  दिली दाद हाज़िर है। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 10:53am

प्रिय नजील भाई

आपका आभार. स्नेह .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 10:53am

आ० विजय सर !

सादर नमन .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 10:52am

आ० नीलेश जी

आप जैसे उस्ताद की संस्तुति मेरे लिए  संतोष का विषय  है . सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 10:50am

आ० बुन्देली जी

आपका आभारी हूँ , कविराज . सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 10:48am

आ० भंडारी जी /अनुज

आप पीठ थपथपाते है तो अच्छा लगता है . सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 10:47am

आ० शिज्जू भाई

उस्तादों से संस्तुति का अपना ही मजा है .सादर .

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 10:45am

 आ० समर कबीर साहेब

मैं  तो अभी सीख रहा हूँ .आपने इतना बड़ा आशीर्वाद देदिया . सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
42 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
1 hour ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service