For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“ माँ! तुम्हे भैया के फ्लेट से आये हुए, यहाँ मेरे पास दो महीने हो गये है. उनका फ्लेट काफी बड़ा भी है, कुछ महीने वहाँ रह आओ. आखिर! उन्हें आपकी कमी भी तो महसूस होती होगी “  

अचानक अपने कमरे में से निकलकर छोटे बेटे के इन उदारता भरे शब्दों को सुनकर, माँ को दो माह पहले बड़े बेटे की उदारता याद आ गई. आँखों में नमी लेकर अपने कपड़ो का बेग जमाते हुये उसे मन में दोनों बेटों के फ्लेट,  अपनी कोख से बहुत  ही छोटे लग रहे थे..

 

 जितेन्द्र पस्टारिया

(मौलिक व् अप्रकाशित)      

Views: 1028

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 2, 2015 at 4:16pm

बेहद सटीक लघुकथा। बधाई

Comment by वीनस केसरी on May 2, 2015 at 4:12pm

सटीक ...

सटाक ...

Comment by Archana Tripathi on May 2, 2015 at 3:55pm
"फ्लैट कोख से भी छोटे लगे "दिल को छूती अंतिम पंक्तिया बेहद प्रभावशाली है ।बधाई जितेंद्र पस्टारिया जी बेहद उत्कृष्ट लघु कथा के लिए ।
Comment by Vivek Jha on May 1, 2015 at 1:14pm

बहुत ही मार्मिक, दो से तीन पंक्तियों में आपने बेहतरीन भाव पिरो दिए जिंतेंद्र जी, लघुकथा के लिए मिशाल है ये कहानी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 1, 2015 at 11:18am

आपकी उपस्थिति हेतु आपका ,हार्दिक आभार. आदरणीय राजेन्द्र जी

सादर!

Comment by RAJENDER KUMAR GAUR on April 29, 2015 at 1:07pm

JEEVAN ME JYADA HONA BHI DUKH DAI

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 1, 2015 at 8:40am

आदरणीय वीर जी, आपके सराहनीय प्रोत्साहन के लिए ह्रदय से आभारी हूँ.

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 1, 2015 at 8:39am

आदरणीय गौरव जी ,आपका बहुत-बहुत आभार

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 1, 2015 at 8:38am

आदरणीय हरिप्रकाश जी. लघुकथा पर आपकी उपस्थिति व् सराहना हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ.

सादर!

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 31, 2015 at 3:43pm

आदरणीय जितेन्द्र जी, बहुत सुन्दर रचना ! ... आज के समय में माता पिता को कुछ दिन रखना एक "उदारता"  ही बनता जा रहा है ...... सुन्दर कटाक्ष, हार्दिक बधाई स्वीकार करे

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
4 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
23 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service