For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


नूतन वर्ष सुहाना आता 
-------------------------
नूतन वर्ष सुहाना आता 
माता की गोदी में चढ़ कर
मन ही मन हर्षाता

 

दिनकर चुनरी लाल उड़ाता 
शीतल पवन झकोरे लाता 
कच्ची कच्ची धूप मनोहर 
मलिया शगुन सुनाता

 

बगिया की गोदी में खिल कर 
दिवस मल्हारें गाता ।

 

कलियाँ खिल कर युवा हो गईं 
झोली भर कर सुगंध ले आईं 
अंगनाई उर महके चन्दन 
तितली काया सौरभ धोई

 

भोर की गोदी सूरज चढ़ कर
स्वर्णिम छटा लुटाता ।

 

झरने की कल-कल निनाद 
मन के मिट जाते विषाद 
मैत्री की मंशा उर में ले
मिट जाते सारे कटु विवाद

 

अंबर की गोदी में चढ़ कर 
चाँदनिया  चाँद लुटाता ।

 

नूतन वर्ष सुहाना आता 
माता की गोदी से चढ़ कर
मन ही मन हर्षाता

अप्रकाशित व मौलिक 

कल्पना मिश्रा बाजपेई

Views: 660

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on March 24, 2015 at 11:01am

अति सुन्दर। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 23, 2015 at 8:17am

आदरणीया कल्पना जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति है हार्दिक बधाई निवेदित है. 

इन पंक्तियों में तुकांतता बाधित कर रही है रचना के सौन्दर्य को... मेरे हिसाब से... इसलिए निवेदन कर रहा हूँ-

कलियाँ खिल कर युवा हो गईं 
झोली भर कर सुगंध ले आईं 
अंगनाई उर महके चन्दन 
तितली काया सौरभ धोई

सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 23, 2015 at 8:11am

आ0 Hari Prakash Dubey जी आप का आभार 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 23, 2015 at 12:31am

आदरणीया कल्पना मिश्रा जी, इस सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई ! सादर 

अंबर की गोदी में चढ़ कर 
चाँदनिया  चाँद लुटाता । 

नूतन वर्ष सुहाना आता 
माता की गोदी से चढ़ कर
मन ही मन हर्षाता.......वाह

Comment by kalpna mishra bajpai on March 22, 2015 at 10:10pm

आ० Er. Ganesh Jee "Bagi" सर आपका बहुत आभार /सादर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 22, 2015 at 8:29pm

शब्द-शब्द मोती से गुथे हैं, सुन्दर और प्रभावशाली नवगीत पर बधाई आदरणीया कल्पना मिश्रा जी.

Comment by kalpna mishra bajpai on March 22, 2015 at 1:52pm

आ० maharshi tripathi  जी आप का आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 22, 2015 at 1:52pm

आ० Dr. Vijai Shanker  जी आप का आभार /सादर 

Comment by kalpna mishra bajpai on March 22, 2015 at 1:52pm

आ0 डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर आपका आभार /सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 21, 2015 at 8:47pm

आ० कल्पना जी

सुन्दर प्रस्तुति . सही शब्द 'मल्हार ' और 'मंशा'  है .तितली काया सदली धोई ------ भाव स्पष्ट नही  हो रहा . कविता में  रमणीयता बहुत है  . सादर .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
9 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
9 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
11 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service