For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जला न दे...''जान'' गोरखपुरी

112 212 221 212

बस कर ये सितम के,अब सजा न दे

हय! लम्बी उम्र की तू दुआ न दे।

अपनी सनम थोड़ी सी वफ़ा न दे

मुझको बेवफ़ाई की अदा न दे।

गुजरा वख्त लौटा है कभी क्या?

सुबहो शाम उसको तू सदा न दे।

कलमा नाम का तेरे पढ़ा करूँ

गरतू मोहब्बतों में दगा न दे।

इनसानियत को जो ना समझ सके

मुझको धर्म वो मेरे खुदा न दे।

रखके रू लिफ़ाफे में इश्क़ डुबो

ख़त मै वो जिसे साकी पता न दे।

न किसी काम का है हुनर सुखन

जब दो जून की रोटी, कबा न दे।            (कबा = कपड़े)

लिखता हूँ जिगर में आग को लिए

तुझको शेर मेरा उफ़! जला न दे।

रहने दें सता मत जिन्दगी उसे

परदा ‘’जान’’ तेरा गो हटा न दे।

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 885

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on March 10, 2015 at 8:52pm

भाई जान गोरखपुरी साहब ,  खुबसूरत ख्यालात हैं |सादर बधाई |

Comment by Shyam Mathpal on March 10, 2015 at 7:47pm

Priya Krishna Mishra Ji,

Dil ke jajbaaton ko bahut sundar shabdon main piroya hai. Bahut badhai.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 10, 2015 at 7:32pm

वाह वाह वाह

बहुत सुन्दर भाई कृष्ण मिश्र जी ,

शानदार गज़ल हेतु बधाई

Comment by Hari Prakash Dubey on March 10, 2015 at 7:22pm

बहुत सुन्दर भाई कृष्ण मिश्र जी ,

लिखता हूँ जिगर में आग को लिए

तुझको शेर मेरा उफ़! जला न दे।......वाह 

रहने दें सता मत जिन्दगी उसे

परदा ‘’जान’’ तेरा गो हटा न दे।.....बहुत बहुत बधाई आपको !

Comment by maharshi tripathi on March 10, 2015 at 7:17pm

इनसानियत को जो ना समझ सके

मुझको धर्म वो मेरे खुदा न दे।

न किसी काम का है हुनर सुखन

जब दो जून की रोटी, कबा न दे। 

वाह !!बहुत बढ़िया आ.बड़े भाई आपका जवाब नही |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
1 hour ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
9 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service