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         पुलिस को पीछे आते देखकर डाकू रुक गये I इंस्पेक्टर ने ध्वनि  विस्तारक यंत्र का प्रयोग कर कहा – ‘पुलिस ने कोई घेरा नहीं डाला है सरदार से कहो बात करे I’

’अरे हम है धन्ना सिंह I आवा हो इंस्पेक्टर तोहार हिस्सा तैयार बा, ल्या और ऐश करा I’- सरदार ने आगे आकर इंस्पेक्टर को एक पैकेट दिया I दोनों ने मुस्कराकर हाथ मिलाया I जाते-जाते सरदार ने एक कान्स्टेबिल के पैरो में गोली मार दी I कान्स्टेबिल गिर पड़ा I डाकू चले गए I कुछ देर बाद उस राह से दो राहगीर गुजरे I इंस्पेक्टर ने उन्हें गोली मार दी I दोनों तत्काल वही ढेर हो गए I अगले दिन समाचार पत्र में समाचार प्रकाशित हुआ-

‘कल रात पुलिस से हुयी मुठभेड़ में कुख्यात डाकू धन्ना सिंह के गिरोह के दो डाकू इंस्पेक्टर की गोली से मारे गए I बाकी डाकू भागने में कामयाब रहे I इस मुठभेड़ में एक सिपाही भी घायल हुआ उसकी हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है I यह भी सुनने में आया है कि इंस्पेक्टर की बेमिसाल बहादुरी और जांबाजी के चलते उसके नाम की सिफारिश अधिकारियो द्वारा प्रोन्नति हेतु ऊपर भेजी जा रही है I’

 

 (मौलिक व् अप्रकाशित )  

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Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 3, 2015 at 5:53pm

आ 0 हरिप्रकाश जी

कृतग्य हूँ  i आदरणीय  i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 3, 2015 at 5:52pm

प्रतिभा जी

सादर आभार i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 3, 2015 at 5:52pm

आदरणीय बागी

मुझसे अधिक उम्मीद की आशा ------यह आपका स्नेह और बड़प्पन है i

यह अवश्य है कि यह रचना चलताऊ किस्म की है i कभी कभी ऐसा भी  हो जाता है i  आ० योगराज जी भी कई बार मुझे जगाते रहे है i आपने भी जगाया  i अतः आपका शुक्रगुजार हूँ i  सादर i

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 3, 2015 at 5:51pm
एक सच की तस्वीर , बहुत बहुत बधाई, आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी, सादर।
Comment by VIRENDER VEER MEHTA on March 3, 2015 at 5:46pm

.../\...... आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी  लाजवाब रचना.  "आज के समाज की वास्तविकता को उजागर करती सुन्दर लघुकथा"

अनुज की और से सादर बधाई स्वीकार करे. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2015 at 5:34pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , यही तो हो रहा है आज कल , सच्ची बात कही है ! लघुकथा के लिये आपको बधाइयाँ ।

Comment by somesh kumar on March 2, 2015 at 11:35pm

सत्य सत्य सत्य चोर-छोर मौसरे भाई |सत्य पर प्रहार करती लघुकथा पर साधुवाद |

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 2, 2015 at 11:33pm

लघुकथा!..बहुत प्रभावी नही लगी!! आप से उम्मीदे अधिक होना लाजमी ही है....आदरणीय!!

Comment by maharshi tripathi on March 2, 2015 at 10:50pm

आप की लघुकथा ,,,आज की संवेदनहीन समाज के लिए  काफी प्रभावी है ,,,आपको ढेरों बधाई आ.गोपालनारायण जी |

Comment by Hari Prakash Dubey on March 2, 2015 at 10:41pm

 आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर .....तोहार हिस्सा तैयार बा, ल्या और ऐश करा....इस पंक्ति को पढ़कर आनंद आ रहा है हा हा ..ये अवधी और भोजपुरी का मिश्रण  भी कमाल है , इस रचना पर बधाई सादर !

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