For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुना सहसा उसने

और दिल बैठ गया

तड़प रहे अंतस में  

नया डर पैठ गया

 

तकिये पर सिर छिपा

विवश वह लेट गया

आंसुओं की परतें अनगिन

दर्द में समेट गया

 

अगले रविवार फिर  

वही मंजर आयेगा

मौन-प्रेम सिसकेगा

तडपकर मर जाएगा

 

एक कन्या बेमन से अनचाहा वर वरेगी

प्यार के शव पर ही मांग वह भरेगी

अभी उसके व्याह का  आमंत्रण आया है

चंद्रमा विलुप्त हुआ, ग्रहण गहराया है

 

सुना सहसा उसने

और दिल बैठ गया

तड़प रहे अंतस में 

नया डर पैठ गया

 

कितने ग्रहण ऐसे भग्न-हृदय में विलसते

राहु कितने चन्द्र और सूर्य नित्य डसते ?

(मौलिक व् अप्रकाशित )

 

Views: 799

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 25, 2015 at 12:15pm

विजय सर i

आपका हार्दिक आभार i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 25, 2015 at 12:14pm

अनुज भंडारी जी

आपकी टीप से कृतकृत्य हुआ i सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 25, 2015 at 12:14pm

आ० हरि प्रकाश जी

आपकी टीप से अनुगृहीत हुआ i  सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 25, 2015 at 12:12pm

आ० समर कबीर जी

आपका आभार i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 25, 2015 at 11:13am

बहुत-बहुत सुंदर. दिल को छू जाती रचना. उत्कृष्ट प्रस्तुति पर ह्रदय से बधाई आदरणीय डा.गोपाल जी

Comment by khursheed khairadi on February 25, 2015 at 10:08am

सुना सहसा उसने

और दिल बैठ गया

तड़प रहे अंतस में 

नया डर पैठ गया

 

कितने ग्रहण ऐसे भग्न-हृदय में विलसते

राहु कितने चन्द्र और सूर्य नित्य डसते ?

आदरणीय गोपालनारायण सर ,ग़ज़ल और कविता एक ही नदी की दो धाराएँ हैं ,मुझे अपनी एक ग़ज़ल का शेर याद आ रहा है 

'कानों में इक सिसकी सीसा घोल गई \मुझको अब शहनाई से  डर लगता है' 

इतनी मार्मिक और मासूम कविता ,प्रेमी हृदय की पीड़ा का इतना जीवंत निर्वहन ,वह भी आध्यात्मिकता से परिपूर्ण श्रेष्ट कविता करने वाले संत कवि की कलम से ,नमन है सर |हार्दिक बधाई |सादर अभिनन्दन |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 25, 2015 at 1:22am

आदरणीय डॉ.गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर ,सुन्दर रचना हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है.. सादर 

Comment by maharshi tripathi on February 24, 2015 at 11:16pm

बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति है,, आ. गोपाल नारायण जी ,,,,सुन्दर !!!

Comment by Pari M Shlok on February 24, 2015 at 11:36am
मार्मिक प्रस्तुति, बहुत बहुत बधाई आदरणीय डॉ O गोपाल नारायण जी,
Comment by Usha Choudhary Sawhney on February 24, 2015 at 10:35am

चंद्रमा विलुप्त हुआ, ग्रहण गहराया है

आदरणीय  गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, अत्यंत मार्मिक, सिहरन पैदा कर गई आपकी रचना।  हार्दिक बधाई सर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service