For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहरीन में विदेशी फ़ौजी दख़ल: सऊदी/वहाबी साम्राज्यवादी महत्वकाक्षाऐं

 
फ़ेसबुक पर मेरी ६ मार्च की पोस्ट से उद्धरत:-
"राजा अब्दुल्लाह इसे आवामी जन विद्रोह को शिया विद्रोह- इरानी षडयन्त्र के नाम पर
क्रूरतापूर्वक दमन कर दे."


आज जब इस वक्त मैं यह लिख रहा हूँ, बुधवार की रात
को पर्ल चौक बहरीन पर सऊदी सैनिकों की उपस्थिती में एक नीम फ़ौजी कार्यवाही करके
वहां गत दो माह से चल रहे जन विद्रोह को दबा देने की एक और कोशिश की जा रही है, इससे पहले फ़रवरी मध्य
में भी ऐसी ही कार्यवाही के बाद पर्ल चौक खाली कराया गया था.

मेरी पिछली पोस्ट और इस लेख के मध्य कई बडी
घटनायें हुई..लीबिया में गद्दाफ़ी को हारा हुआ माना जा रहा था लेकिन उसके बरअक्स,
गद्दाफ़ी की सत्ता पर पकड मजबूत होती गयी, उसके सैनिकों ने एक के बाद एक
विद्रोहियों के इलाके से जवाबी कार्यवाही करके उन्हें मुक्त कराया या ऐसा ऐलान
किया. जापान में भयंकर भूकंप और सुनामी (११ मार्च) से दस हजार लोगों की जाने गयी,
परमाणु विकिरण पर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान जैसे ही गया, राजा अब्दुलाह ने
अपने छुटभैय्ये राजाओं के गुट के परचम तले (जी.सी.सी. सऊदी, यमन, कतर, बहरीन,
कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात) १५०० फ़ौजी, अमेरिकी हथयारों से लैस बहरीन में दाखिल हो
गये (मार्च १४). योजना बद्ध तरीके से इस पूरे कार्यक्रम को सजाया गया. बुध की रात
फ़ौजी कार्यवाही, गुरुवार को सफ़ाई-धुलाई और जुमे के दिन राजा बहरीन की फ़तह का

ऐलान...सऊदी राजा अब्दुल्लाह अपने पडौस में खून
बहाकर अपने पूर्वी प्रांतो में चल रहे जनांदोलनों को दबा देना चाहता है. दक्षिणी
यमन पर सऊदी बमवर्षकों ने शिया अलगाव वादी ताकतों के विरुद्ध यमन के राष्ट्रपति
सालेह के हक में न केवल एक सैन्य सहायता को चिन्हित करता है वरन वह अपनी शिया आबादी
को भी अपने लोहे के बारुद भरे दांत दिखाना जैसा है.

अरब जागरण, जिसकी शुरुआत ट्यूनीसिया से एक जन
क्रांति के रुप में शुरु हुई उसका स्वरुप सऊदी आते आते शिया- सुन्नी कर देने का
पूरा इन्तेजाम कर दिया गया है. राजा अब्दुल्लाह का यह तुरुप का पत्ता, बहरीन में
सऊदी फ़ौजी हस्तक्षेप के माध्यम से अब खुल चुका है. बहरीन के जन विद्रोह को इरानी
साजिश और शिया षडयंत्र की आड़ में क्रूरतापूर्वक दबा कर सऊदी शासक न केवल अपनी जनता को यह संदेश दे रहे हैं
कि वह मुबारक या ज़ेन अली नहीं जिसे आसानी से हटाया जा सके. सत्ता के अधिकरण और
उसके हिंसक बचाव का जो रास्ता गद्दाफ़ी ने चुना है वही रास्ता राजा अब्दुल्लाह और
उसके समर्थक अन्य राजा क्यों नही चुन सकते? सऊदी अरब का सबसे मुखर साथ संयुक्त अरब
अमीरात ने दिया है, यह याद रहे कि इन दोनों देशों में जनता का एक बडा वर्ग सरकारी
सहायता पर जीवन बसर करके परजीवी बन चुका है, समाज के इस तबके ने न समाज को अभी तक
कोई रचनात्मक सहयोग दिया है और न वह भविष्य में ऐसा कर सकता है, अपने स्वभाव से वह
शुद्ध रुप से प्रतीक्रियावादी है और राजाशाही का प्रबल हामी भी हैं, जिन्हें अच्छी
कारें, अच्छे घर, अच्छी औरतें और तमाम तरह के अय्याशी के साधन आसानी से मुहैय्या
हैं, इनकी सफ़ेद इमारतों, कारों और कपडों के नीचे से किसी विद्रोह के फ़ूटने की आशा
करना व्यर्थ है. प्राय: दोयम दर्जे के कबीलों से बनी फ़ौज पर सऊदी और खलीज के अन्य
राजाओं की सेनाओं का स्वरुप कमोबेश एक सा ही है. बडी तनख़्वायें और सुख सुविधायें फ़ौज के इस वर्ग को किसी भी आर्थिक
तनाव से बचाये रखने में सक्षम हैं, राजाओं का कबीला आमतौर पर दूसरे कबीलों से
समर्थन खरीद ही लेता है और सत्ता को किसी प्रकार की मिलने वाली चुनौती से महफ़ूज़
रखता है. तेल की कमायी का एक बडा हिस्सा इन्ही वफ़ादारियों को खरीदने में बखूबी तौर
पर, एक निवेश के रुप में राजाओं ने भलिभांति लगाया है.

सऊदी शासकों के इस कदम का रद्देअमल इरान ने बडे
तीखे बयानों के माध्यम से व्यक्त किया है, इरानी नेताओं ने सार्वजनिक रुप से बहरीन
में विदेशी सेनाओं की भर्तस्ना की है और उसके घरेलू मामलों में बाहरी हस्तक्षेप
बताया है. सऊदी फ़ौजी बूटों की धमक लेबनान तक सुनी गयी, हिज़्बोल्लाह ने कड़े
शब्दों में सऊदी फ़ौजी हस्तक्षेप की निन्दा की है, जाहिर है इरान और हिज़्बोल्लाह
की इसी तीखी प्रतिक्रिया का इंतेज़ार सऊदी शासकों और उसके सहयोगियों को भी रहा
होगा, इरान और उसके सहयोगियों के बयानों से सऊदी शासकों, वहाबियों द्वारा खाडी के
देशों में चल रहे असंतोष को शिया षडयंत्र बता कर खारिज करने वाले तर्कों को पुष्ट
करने का मौका मिलेगा.

जाहिर है, खाडी के देशों में बदल रहे तेजी से इस
घटनाक्रम को पूरी दुनया का मुसलमान गौर से देख रहा है, मुस्लिम देशों
के वैचारिक भतभेद उभर कर सामने आये हैं. इस्लाम के नाम पर चल रही दो समानान्तर
व्यवस्थायें (सुन्नी बहुल खाडी देशों के राजा अथवा तानाशाह बनाम शिया विचारधारा के
वाहक इरान और लेबनान में उसका समर्थक हिज्बोल्लाह) अपने अपने प्रतिक्रियावादी
स्वरुप को स्पष्ट रुप से दिखा चुकी है. दोनों व्यवस्थायें जन विरोधी और
अलोकतांत्रिक हैं. खाडी के देशों का किस्म किस्म का इस्लामी समाजवाद सबने देखा है.
अब बहरीन में सीधी कार्यवाही के बाद वहाबी साम्राज्यवादी महत्वकांक्षायें भी स्पष्ट
रुप से देखी जा सकती है. इरानी छाप इस्लाम का छद्दम जनवाद खुमैनी के ज़माने से देखा
जा रहा है जिसके परख़च्चे गत वर्ष हुये राष्ट्रपति के चुनावों के बाद पैदा हुए
जनरोष और इरानी सत्ता द्वारा किये गये उसके दमन को पूरा विश्व देख चुका है. इरान के
लेबनान में हस्तक्षेप और हमस के साथ उसका गठजोड को पूरी दुनिया जानती है. इरान खुद
इरान की सीमाओं के बाहर शिया समुदायों को पैसा, हथियार देने में मुलव्विस रहा है
(लेबनान के हिज्बुल्लाह, हमस-फ़लस्तीन,अफ़गानिस्तान के शिया समुदाय, पाकिस्तान के
पश्चिमोत्तर प्रान्त में शिया समुदाय आदि) अथवा उसके पास सऊदी अरब के बहरीनी
हस्तक्षेप के विरुद्द ब्यान बाजी करने का कोई नैतिक आधार नहीं है.इरान ने अपने
इस्लामी जनतंत्र के चलते, अल्पसंख्यकों खासकर बलोच आंदोलन का क्या हश्र किया है सभी
जानते हैं. महिला अधिकारों, अन्य जन अधिकारों, मज़दूर यूनियनों आदि पर उसका रुख
सर्वविदित है. सऊदी पैसे के बूते देश के बाहर इस्लामी क्रांती का जिम्मा वहाबियों
ने मदरसों के जरिये जितना किया है उतना ही काम इरान ने भी किया है. बडे अचरज की बात
है कि सऊदी राजा के इस फ़ैसले पर भारत और पाकिस्तान के उलेमाओं ने कुछ ब्यान बाजी
नहीं की, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि किसका पक्ष लें? दोनों ही फ़िरके सहमें हुये
किसी एक पक्ष की निश्चित जीत का इंतज़ार कर रहे हैं. भारत में ये दोनों फ़िरके अपने
अपने ब्राण्ड के इस्लाम की जीत और उसके संघर्षों, सफ़लताओं के कसीदे पढ़ने से नही
थकते जबकि सच यह है कि दोनों व्यवस्थायें २१ वीं सदी की किसी भी चुनौती के समक्ष
कोई भी सफ़ल माडल प्रस्तुत नहीं कर पायी.

अरब जन जागरण को यदि इस्लामी जागरण का नाम देने
अथवा उसे इस दिशा में ले जाने की कोई कोशिश की गयी तब इसके दुष्परिणाम न केवल इस
खित्ते की आबादी को झेलने होंगे वरन इस्लाम का जुनून विश्व राजनीति को नये सिरे से
ध्रुवीकृत करने में कोई कसर नहीं छोडेगा. किसी भी तरह के इस्लामी ब्राण्ड की सफ़लता
भारत जैसे देश पर अपने राजनैतिक दुष्प्रभाव जरुर छोड़ेगी, मुस्लिम कट्टरवाद को मिली
सफ़लता, भारत के हिंदु दक्षिणपंथी ताकतों को एक नया बल देगा.

जनवादी ताकतों के समक्ष अरब जन जागरण को समझने और
उसमें हिस्से दारी का प्रश्न निश्चय ही दुधारी तलवार का सफ़र होगा. ब्रदरहुड, हमस,
हिज़्बुल्लाह जैसी ताकतें जनता के बीच रह कर उनकी धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल,
अपने राजनैतिक उद्देश्यों के लिये सदा से भलि भांति करती रही है और आगे भी करेगी,
यदि इन ताकतों में से किसी की भी ताकत सत्ता के शीर्ष तक पहुँची तब इनका सबसे पहला
हमला, समाज की जनवादी शक्तियों को क्रूरता पूर्व रौंदना ही होगा.

सऊदी अरब के नेतृत्व में बहरीन में फ़ौजी दखल
अंदाजी अब दिलचस्प मोड़ पर पहुँच गयी है. अमेरिका द्वारा सऊदी अरब के इस कदम से खुद
को कूटनीतिक रुप से दूर रखना भी नया रुख है. भारत सरकार इस पर क्या रवैय्या अपनाती
है? सऊदी सैनिक क्या वहां अमन कायम कर पायेंगे? क्या इरान अपने समर्थकों की
कत्लोगारत चुपचाप देखेगा या कुछ और करेगा..अगले कुछ सप्ताह बडे दिलचस्प होंगे.
भविष्य में हुए किसी भी रक्तपात पर अरब नज़रिया क्या सुन्नी बनाम शिया के चश्में से
लाशें गिनेगा अथवा कोई जनवादी शक्ति इन दोनों रंगों के इस्लाम को इतिहास के कूडेदान
में डाल कर कोई नयी, समायानुकूल व्यवस्था बनाने की दिशा में कदम उठायेगी? कुल
मिलाकर खाडी की राजनैतिक बिसात पर सभी पक्षों के दाव लग चुके है, निरिह जनता चुपचाप
देख रही है, निरिह आधुनिक युग के गुलाम प्रवासी कामगार और तिजारती मूक दर्शक बने
हैं, कोई भी रंग का इस्लाम इनके बुनियादी हकों की बात करता दिखाई नहीं देता. बहरीन
में राजा हमाद ने पाकिस्तानी सुन्नी समुदाय के प्रवासी कामगारों का इस्तेमाल भाडे
के सैनिकों की तरह करने, उनके जरिये आंदोलनकारियों पर संगठित रुप से हमले करवाने की
भी खबरें हैं.प्रवासी कामगारों की चुप्पी बडी आश्चर्यजनक है, उनकी आबादी का अनुपात
व्यापक है, यदि इस समुदाय की तरफ़ से कोई नीतिगत पहल इस अरब जागरण के दौर में हुई
तब इसके व्यापक परिणाम होंगे. इतिहास के इस निर्णायक मोड पर प्रवासी कामगार, और
धन्धेबाज क्या करेंगे या इस घडी को फ़िजूल में जाने देंगे यह बडा प्रश्न है, इनकी
तरफ़ से कोई भी बडी भागी दारी पूरे इलाके के राजनैतिक समीकरणों में उलट पलट कर सकते
हैं. फ़िलहाल यह समाजिक समुह अपनी दशा-दिशा सुधारने से बेखबर खामोश बैठा है, बहरीन
में बहुत अधिक संख्या में भारतीयों की नौकरी जा चुकी है और वह अपना सामान बांधे
हारे हुये बदहवासों की भांति वापस जाने प्रतीक्षा कर रहे हैं..शायद स्पार्टकस के
इंतज़ार में.
चित्र सौजन्य: गूगल

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
16 minutes ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service