For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Shamshad Elahee Ansari "Shams"'s Blog (6)

बहरीन में विदेशी फ़ौजी दख़ल: सऊदी/वहाबी साम्राज्यवादी महत्वकाक्षाऐं

 
फ़ेसबुक पर मेरी ६ मार्च की पोस्ट से उद्धरत:-

"राजा अब्दुल्लाह इसे आवामी जन विद्रोह को शिया विद्रोह- इरानी षडयन्त्र के नाम पर

क्रूरतापूर्वक दमन कर दे."




आज जब इस वक्त मैं यह लिख रहा हूँ, बुधवार की रात

को पर्ल चौक बहरीन पर सऊदी सैनिकों की उपस्थिती में एक नीम फ़ौजी कार्यवाही करके

वहां गत दो माह से चल रहे…
Continue

Added by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on March 17, 2011 at 6:49pm — No Comments

जब बेटी घर से विदा हो जायेगी..

जब बेटी घर से विदा हो जायेगी..

   - शमशाद इलाही अंसारी "शम्स"

 

ये घर दरो दीवार सब तरसेंगे

जब बर्तन खन खन…

Continue

Added by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on February 17, 2011 at 5:00am — 18 Comments

पर्दाफ़ाश

 

तुमने मेरे मस्तिष्क को

बींदने की

बेपनाह कोशिश की है

उसे नियन्त्रित करने की

मशक्कत की है कि, जैसा तुम चाहो

मैं वैसा सोचूँ..

तुमने मुझे एक से बढ़ कर एक

रंगीन जाल दिखाया

बनाये अनोखे तिलिस्म और चाहा

कि जैसा तुम दिखाना चाहते हो

मैं बस वो ही देखूँ..

तुमने मेरी उंगलियों को

छेद छेद कर, पिरोने…

Continue

Added by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on February 4, 2011 at 4:30am — 9 Comments

एक थैली बूंदी...

एक थैली बूंदी... 

              - शमशाद इलाही अंसारी "शम्स"

 

पता नहीं मुझे आज

एक थैली बूंदी की याद

इतनी क्यों आ रही है..?

आज के दिन..

जब स्कूल में

बंटा करती थी..

तमाम उबाऊ क्रिया कलापों 

और न्यूनतम स्तर के

पाखण्डों के बाद

बस प्रतीक्षा रहती थी

कब मिलेंगी

वो, गर्म गर्म बूंदियों की

रस भरी थैलियां

जो, न जाने कब और कैसे

जुड़ गयी थी

गणतंत्र दिवस…

Continue

Added by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on January 26, 2011 at 7:09pm — 9 Comments

ग़ज़ल - पैग़ाम-ए-मौहब्बत

नफरत के बदले प्यार को लुटा रहा हूँ मैं

सदियों पुरानी रस्म को ठुकरा रहा हूँ मैं



मेरी ज़ात को समा ले अपनी ही ज़ात में

है बचा खुचा जो चेहरा वो मिटा रहा हूँ मैं



गीतों में मेरे ख़ुशबू अब होने लगी दोबाला

अब इनमे तेरी रंगत को मिला रहा हूँ मैं



नगमे वफ़ा के शायद निकले तुम्हारी रूह से

यही सोच शेख साहिब तुझे पिला रहा हूँ मैं



तेरे मतब पे जाकर भी इन्सां बना रहूँगा

तेरी रिवायत की जड़ें हिलाने जा रहा हूँ मैं



देता रहा वाईज मुझे जो… Continue

Added by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on September 5, 2010 at 11:19am — 3 Comments

तुम कब जानोगे? भारत-पाक विभाजन की ६३वीं बरसी पर

तुम कब जानोगे?









तुम पीछे छोड गये थे

मेरे बिलखते,मासूम पिता को

घुटनों-घुटनों खून में लथपथ

अधजली लाशों और धधकते घरों के बीच

दमघोटूं धुऐं से भरी उन गलियों में

जिसे दौड कर पार करने में वह समर्थ न था.

नफ़रत और हैवानियत के घने कुहासे में

मेरे पिता ने अपने भाईयों,परिजनों के

डरे सहमे चेहरे विलुप्त होते देखे थे.





दूषित नारों के व्यापारियों ने

विखण्डन के ज्वार पर बैठा कर

जो… Continue

Added by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on August 14, 2010 at 11:30pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service