For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सुनो,

है ईश्वर ऐसा करो

मुझे पागल कर दो 

शरीर से दिमाग का 

संपर्क खत्म कर दो 

मेरे एहसास 

मेरी प्यास 

मेरी तृष्णा 

मेरा प्यार 

मेरी लालसा 

से मेरा नाता खत्म कर दो 

न मर्म रहे 

न भावना 

न दर्द रहे 

न रोग .... 

सुनो.... 

है ईश्वर ऐसा करो 

मुझे पागल कर दो 

जीवन तो तब भी रहेगा 

दौड़ेगा रगों मे खून 

देखुंगा, सुनुंगा 

खा भी लूँगा 

दोगे कपड़े तो पहन 

भी लूँगा 

न होगा तो केवल 

एहसास .... 

अपने और दूसरे 

की पहचान 

अच्छा क्या 

खराब क्या 

ईर्ष्य क्या 

दुलार क्या 

अपना कौन 

कौन बैगाना 

भूख है क्या 

प्यास क्या .... 

और ये सब जब थे ... 

तभी क्या था ... 

सुनो ... 

है ईश्वर ऐसा करो 

मुझे पागल कर दो .... 

( मौलिक एवं अप्रकाशित ) 

Views: 468

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 24, 2015 at 9:40pm
हे ईश्वर ऐसा करो
मुझे पागल कर दो ॥
वाह !
आप ईश्वर से यह मांग रहे हैं ,
कितने लोग ऐसे ही जी रहे हैं ,
जी क्या रहे हैं , बेहद खुश हैं ,
सारे सुख, भरपूर , भोग रहे हैं ,
यही तो बस जीवन रह गया है,
आदमी आदमी नहीं रह गया है,
पर दिखाता,जैसे खुश है भरपूर ,
जब कि है , चेतना शून्य भरपूर ॥
व्यंग बहुत अच्छा है , बहुत अच्छा लिखा है आपने , बहुत बहुत बधाई, आदरणीय आमोद कुमार जी, सादर।
Comment by Amod Kumar Srivastava on February 24, 2015 at 7:54pm

आदरणीय Er. Ganesh Jee धन्यवाद आपके प्रोत्साहन के लिए ... त्रुटियों पे ध्यान रखूँगा .... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 24, 2015 at 7:53pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आभार ..... 

Comment by Amod Kumar Srivastava on February 24, 2015 at 7:52pm

आदरणीय वामनकर जी बहुत बहुत धन्यवाद ....आपके प्रोत्साहन के लिए ... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 2, 2015 at 10:44pm

आदरणीय अमोद जी,  सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई आपको .  सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 2, 2015 at 8:16pm

आदरणीय अमोद जी, दो ही तरीके हैं ,एक आपने अभिव्यक्त कर दिया , और एक है की हम "निस्त्रैगुण्य" हो जायें ! सुन्दर प्रस्तुति पर बधाई आपको ! सादर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 2, 2015 at 1:14pm

टंकण की त्रुटियों को देख लें आदरणीय अमोद जी, इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर बधाई प्रेषित करता हूँ. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
21 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service