For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुरू लीला (लघुकथा) : कान्ता राॅय

धर्म के प्रति प्रगाढ़ आस्था के कारण ही सुधा आज घर द्वार सब त्याग गुरू आश्रम चली आई ।

"सुना है गुरूदेव आज रात खास आयोजन करने वाले है । जाने आज किसका भाग्योदय होने वाला है? " आश्रम में सुगबुगाहटें जारी थी ।

लगभग १२ बजे सभा गृह में सब गुरू सेविकायें उपस्थित थी कि सहसा गुरूदेव का आगमन हुआ । पीताम्बर धारण किये हुए, सिर पर मोर मुकुट सजाये हुए आज गुरूदेव कृष्ण रूप में रास के लिए राधा का चयन करने वाले थे ।

कृष्ण रूपी गुरूदेव जब सुधा के सामने ठिठके तो उसका हृदय रो उठा ।गनीमत यह हुई कि गुरु -कृष्ण ने आगे बढ़ कर एक अन्य सेविका को अपने अंग से लगाया और अंदर कक्ष में चले गये ।सुधा तत्क्षण अपने घर वापस लौट आई ।


कान्ता राॅय
भोपाल

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 1005

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 24, 2015 at 7:12pm
आदरणीय बहुत सटीक प्रहार!
Comment by somesh kumar on January 23, 2015 at 11:08pm

सुंदर ,सत्य को सुंदर प्रस्तुति दी आप ने ,बधाई |

Comment by VIRENDER VEER MEHTA on January 23, 2015 at 10:35pm
सुन्दर कथा। कान्ताजी कथा के अंत में आपने सुधा के जरिये घर लोटने का कदम दिखाकर एक सार्थक पक्ष रखा है। बधाई स्वीकारे।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 23, 2015 at 10:04pm

इन पाखंडी धूर्त बाबाओं की पोल इसी तरह खुलती रहे यही वक़्त की डिमांड है बहुत ...बहुत सराहनीय आपका प्रयास हार्दिक बधाई 

Comment by kanta roy on January 23, 2015 at 7:18pm
बहुत बहुत आभार आपको आ. गुमनाम पिथौरागढ़ी जी मेरा हौसला बढाने के लिए । सही कहा है आपने की ढोंग का खुलासा होना ही चाहिए । इन बातों की जितनी चर्चा की जायेंगी उतना आसान होगा हर वर्ग को इस ढोंग के प्रति जागृत करने में । धन्यवाद
Comment by kanta roy on January 23, 2015 at 7:11pm
बहुत बहुत आभार आपको आ.विनोद खणगवाल जी मेरा हौसला बढाने के लिए ।
Comment by kanta roy on January 23, 2015 at 7:09pm
बहुत बहुत आभार आपको आ.सविता मिश्रा जी
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 23, 2015 at 6:55pm

ढोंग का खुलासा होना जरूरी है शायद मासूम लोगो की आस्था के साथ जो मजाक हो रहा है एक दम ठीकखुलासा /..................

Comment by विनोद खनगवाल on January 23, 2015 at 3:53pm
वाह आदरणीया कांता राॅय जी आज के पाखंडी धर्म गुरुओं की पोल खोलती लघुकथा। बधाई स्वीकार करें।
Comment by savitamishra on January 23, 2015 at 12:07pm

बहुत खुबसुरत

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service