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खुदा बोलता है : ग़ज़ल (मिथिलेश वामनकर)

122-122

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जहां में लगा है

खुदी से जुदा है

 

हुआ मैं पशेमाँ

गज़ब देखता है

 

कभी रूह झांको

खुदा बोलता है

 

सजन शे’र जैसा

लबों पे सजा है

 

सजा ज़िन्दगी की

अजब फैसला है

 

 

हंसी जब्त कर लो

हंसी में सदा है

 

बड़ी दास्तां है

मगर ये ज़दा है

सफ़र है गली में 

मकां में अमा है 

 

ग़मों का य’ दरिया

कहे कब रुका  है

 

जिसे देखता हूँ

नज़र फेरता है

----------------------------------
(मौलिक व अप्रकाशित) 

© मिथिलेश वामनकर 
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बह्र-ए-मुतक़ारिब मुरब्बा सालिम

अर्कान – फऊलुन- फऊलुन    

वज़्न –   122-122

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Comment by मिथिलेश वामनकर on August 18, 2015 at 2:40pm

आदरणीय नितिन गोयल जी, ग़ज़ल की सराहना और उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. सादर

Comment by Nitin Goyal on August 18, 2015 at 12:16pm
मज़ा आ गया मिथिलेश जी इतने छोटे meter में इतने बेहतरीन शेर बधाई हो ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 30, 2014 at 9:58pm
आदरणीया वंदना जी बहुत बहुत आभार, हार्दिक धन्यवाद।
Comment by vandana on December 27, 2014 at 6:26am

बहुत शानदार आदरणीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2014 at 10:45pm
एक और समस्या का समाधान नज़र - नज़्र का। बहुत बहुत आभार शिज्जु सर

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Comment by शिज्जु "शकूर" on December 25, 2014 at 9:04pm
आदरणीय मिथिलेश जी अच्छी ग़ज़ल है सादर बधाई। नज़र और नज़्र दो अलग अलग शब्द है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2014 at 7:25pm
धन्यवाद गिरिराज सर। शहर जहर नजर का गलत उच्चारण के कारण ये समस्या आती है।

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Comment by गिरिराज भंडारी on December 25, 2014 at 7:20pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , ज़ह्र सही शब्द है, मात्रा 21 सही है 


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Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2014 at 7:13pm
जहर में मात्रा 12 होगी या 21 ? असमंजस में हूँ गुणीजन बताने की कृपा करें।

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Comment by मिथिलेश वामनकर on December 25, 2014 at 6:57pm
आपने सही कहा। नया नया मंच पर आया हूँ, और गुणीजनों का उत्साह मिला तो अतिउत्साह में ये चूक कर बैठा अब आगे ये ख़याल रखूँगा। दस दिन वाला धैर्य तो पूरी ईमानदारी से अभी शायद निभा पाऊं पर कम से कम 5 दिन तक सारे पहलुओं पर विचार करने के बाद ही पोस्ट करूँगा। अभी इन ब्लॉग पोस्ट्स से सीखने बहुत मिला है। आपके स्नेह के लिए सदैव से आभारी रहा हूँ। आदरणीय वीनस सर के निर्देशानुसार वाला अनुशासन भी एकाध माह में आ जाएगा।

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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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