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चोट दिल पे लगी है दवा दो मुझे
याद आये न उसकी दुआ दो मुझे

प्‍यार जिससे किया छुप गया वो कहीं
ऐ हवा तुम ही उसका पता दो मुझे

मर न जायें कहीं प्‍यार के दर्द से
दर्द कैसे सहें तुम सिखा दो मुझे

हर खुशी आपको तो दिया हूँ मगर
दिल दुखाया कभी तो सज़ा दो मुझे

अब जुदाई न मुझसे सही जाती है
मौत की नींद आकर सुला दो मुझे

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

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Comment

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Comment by Akhand Gahmari on December 25, 2014 at 9:22am

आर्शीवााद एवं मार्गदर्शन के लिये आपको  हार्दिक नमन आदरणीय रामाश्रे जी

Comment by Akhand Gahmari on December 25, 2014 at 9:21am

आर्शीवााद एवं मार्गदर्शन के लिये आपको  हार्दिक नमन आदरणीय डा0 गोपाल नारायण बागी जी

Comment by Akhand Gahmari on December 25, 2014 at 9:21am

आर्शीवााद एवं मार्गदर्शन के लिये आपको  हार्दिक नमन आदरणीय जवाहर लाल सिह जी

Comment by Akhand Gahmari on December 25, 2014 at 9:21am

आर्शीवााद एवं मार्गदर्शन के लिये आपको  हार्दिक नमन आदरणीय शिज्‍जु शकूर जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 22, 2014 at 9:49pm

बहुत बढ़िया अखंड भाई आपको बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 22, 2014 at 5:57pm

अच्छी लगी और आदरणीय बागी जी का सुझाव भी सादर!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 22, 2014 at 4:08pm

गहमरी जी

बहुत् बढ़िया i क्या जमकर लिख रहे है i वाह -- i

Comment by Ram Ashery on December 22, 2014 at 10:52am

very nice composition , congratulation

 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 21, 2014 at 4:10pm

आदरणीय गहमरी जी, अच्छी ग़ज़ल कही है, रदीफ़, काफिया और वजन का बढ़िया निर्वहन हुआ है . नीचे लिखा शेर देख लें, उसमे तकाबुले रदीफ़ ऐब सेंध लगा लिया है .

//मर न जायें कहीं प्‍यार के दर्द से
दर्द कैसे सहें तुम सिखा दो मुझे//

उपाय : प्‍यार के दर्द से मर न जायें कहीं

बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर .

Comment by harivallabh sharma on December 21, 2014 at 2:45pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल..

प्‍यार जिससे किया छुप गया वो कहीं
ऐ हवा तुम ही उसका पता दो मुझे...सुन्दर शेर...बधाई  आदरणीय.

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