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दिल्ली चीखती है

किसी की सरफ़रोशी चीखती है
वतन की आज मिट्टी चीखती है

हक़ीक़त से तो मैं नज़रें चुरा लूँ
मगर ख़्वाबों में दिल्ली चीखती है

हुकूमत कब तलक ग़ाफिल रहेगी
कोई गुमनाम बस्ती चीखती है

भुला पाती नहीं लख्ते-जिगर को
कि रातों में भी अम्मी चीखती है

बहारों ने चमन लूटा है ऐसे
मेरे आंगन में तितली चीखती है

गरीबी आज भी भूखी ही सोई
मेरी थाली में रोटी चीखती है

महज़ अल्फ़ाज़ मत समझो इन्हें तुम
हरेक पन्ने पे स्याही चीखती है

मियाँ, मुश्किल बहुत है शायरी ये
ग़ज़ल कहने पे बीवी चीखती है

जिसे तू ढूँढने निकला है 'परिमल'
तेरे सीने में बैठी चीखती है

© समीर परिमल

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 1, 2015 at 4:38am

एक एक अशआर कमाल का हुआ है, हर एक अशआर ने दिल को छुआ है, वाह आदरणीय समीर भाई जी ... ढेरो दाद कुबूल करें .... एक दिन सार्थक हुआ, इस कमाल को पढ़कर. ह्रदय से बधाइयाँ प्रेषित है. स्वीकार करें... 

Comment by Meena Pathak on November 25, 2014 at 4:28pm

बहुत सुन्दर ..गज़ल की बारीकियाँ मैं नहीं जानती , पढ़ कर आनंद आ गया ..बेहद उम्दा ..हार्दिक बधाई आप को 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 6:57pm

एक एक शेअर सीधे दिल में उतरने वाला हुआ है आ० समीर परिमल जी, अभिनन्दन एवं बधाई स्वीकार करें।   


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 31, 2014 at 9:02pm

एक-एक शेरशोला, एक-एक शेर गुहर !

इस सुगढ़ ग़ज़ल के लिए बार-बार दाद, आदरणीय समीर परिमलजी.

Comment by savitamishra on October 30, 2014 at 9:13pm

बहुत खुबसुरत

Comment by Samir Parimal on October 25, 2014 at 6:44pm
तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ वन्दना जी
Comment by Samir Parimal on October 25, 2014 at 6:41pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी.... हार्दिक आभार
Comment by vandana on October 25, 2014 at 6:22pm


हुकूमत कब तलक ग़ाफिल रहेगी
कोई गुमनाम बस्ती चीखती है

बहारों ने चमन लूटा है ऐसे
मेरे आंगन में तितली चीखती है

बहुत खूब आदरणीय समीर जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 22, 2014 at 10:17pm

सुन्दर ग़ज़ल लिखी है समीर जी ,

भुला पाती नहीं लख्ते-जिगर को
कि रातों में भी अम्मी चीखती है-----हृदय स्पर्शी शेर बहुत खूब 

बधाई आपको 

Comment by Samir Parimal on October 22, 2014 at 8:27pm
शुक्रिया आदित्य जी

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