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मोती  सी बूंदे सजल, प्रकट करे मन भाव, 
अश्क छलकते कह रहे, देख ह्रदय के घाव |
 
अश्को में पानी भरा, समझो इसका मोल  
जिसके नैनन जल दिखे,उसका ह्रदय टटोल, 
 
देखों शिशु के पास में, आँसू ही हथियार 
देख बिलगता भूख से, दूध मिले हर बार   
 
पानी पानी वह हुई, आयी जब भी लाज
पानी से ही लाज है, पानी से ही साज |
 
पनघट सब खाली हुए, खाली गगरी हाथ 
मेघ बरसते है नहीं, वर्षा के दिन आथ |   
 
चुल्लू भर पानी नहीं, मरने को भीं यार.
प्यासे ही मरने लगे,  पक्षी भी भरमार |
 
माटी में बूंदे पड़ी, चिन्हित दीखे राह,
राही को राहत मिले, देख मार्ग की थाह ।
 
पानी जिसका मर गया, रहे न उसका मान,
बिन पानी सब सून है,  कहते संत बखान ।
.
(मौलिक व प्रकाशित)
लक्ष्मण रामानुज लडीवाला 

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2014 at 5:11pm

दोहे पसंद कर सरहाने के लिए आपका बहुत बहुत आभार श्री जितेन्द्र "गीत" भाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2014 at 5:11pm

दोहे पसंद करने के लिए धन्यवाद श्री सोमेश कुमार जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2014 at 5:10pm

दोहे सराहने के लिए आपका अतिशय आभार आद. डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, और डॉ विजय शंकर जी 

सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2014 at 5:09pm

दोहे पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार श्री हरिवल्लभ शर्मा जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 16, 2014 at 7:59am

'बिन पानी सब सून' को बखूबी स्पष्ट करते आपकी दोहावली, बहुत ही सुंदर लगी आदरणीय लक्ष्मण जी. सादर नमन व् आपको हार्दिक बधाई

Comment by somesh kumar on October 15, 2014 at 11:26pm

सुंदर और सार्थक दोहे |

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 15, 2014 at 7:58pm
पानी पानी वह हुई, आयी जब भी लाज
पानी से ही लाज है, पानी से ही साज |
सभी दोहे बहुत सुन्दर और अच्छे है , बधाई आदरणीय लक्षमण रामानुज लडीवाला जी ,
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 6:27pm
पानी पानी वह हुई, आयी जब भी लाज
पानी से ही लाज है, पानी से ही साज---------------- लडीवाला जी बहुत अच्छे दोहे  1
Comment by harivallabh sharma on October 15, 2014 at 5:01pm

बहुत सुन्दर प्रेरक दोहे...सभी एक से बढ़कर एक..बधाई आपको आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाल साहब.

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