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बदलाव....कहाँ से (लघु कथा)

बदलाव....कहाँ से ! (लघु कथा)

"गाड़ी एक घंटा लेट है।" आदित्य ने घड़ी देखते हुए कहा।
"अच्छा ही हुआ लेट है...वरना मिलती भी नहीं।" अंजनी के चेहरे पर थकान दिखाई दे रही थी।
तभी वहाँ दो बालक आए....मैले कुचेले कपड़े. ..अस्त व्यस्त बाल बड़े की उम्र 7-8 साल के लगभग होगी छोटा बहुत छोटा ओर मासूम दिख रहा था।
"बाबूजी पॉलिश कर दूँ ?"बड़े ने पास आकर पुछा।
आदित्य ने जूते उतारते हुए कहा....कर दे...जल्दी करना ट्रेन आने वाली है।
"अभी करता हूँ साब।" उसने तपाक से अपने मटमैले झोले में से पोलिश की डिब्बी, ब्रश, ओर एक कपड़ा निकला ओर जूते साफ करने लगा।
उसकी नन्हीं हथेलियों से जूते बड़े थे। एक हाथ से जूते को अपनी छाती का सहारा देकर दूसरे हाथ से वह जूते पर ब्रश घिसने लगा। अंजनी को लगा वह जूता पकड़ने में उसकी मदद कर दे।
तभी उसने अपने साथी से,जो शायद उसका भाई था कहा...
"तू क्यों फोकट खड़ा है?...उन साब के जूतों पर पॉलिश कर दे।"
मैं नहीं करता तू ही कर ।"छोटा मुँह बनाकर बोला।
"अरे कर ले बेटा नहीं तो बहुत पछताएगा।"
"क्या पछताऊंगा? " छोटे ने आँखे बड़ी की।
पॉलिश करते करते उसने अपना सिर ऊपर उठाया अपने साथी की ओर देखते हुए जोर से बोला....
"क्या पछताएगा?" . ...बाप स्कूल में डाल देगा तो पढ़ पढ़कर मर जायेगा...
फिर किसी काम का नहीं रह जायेगा....इससे अच्छा है बेटा काम सीख ले...पैसा भी कमाएगा मजे भी करेगा।"
आदित्य और अंजनी ने हतप्रभ एक दूसरे की ओर देखा। अंजनी को लगा हवा चलना एकाएक बंद हो गया है उसका दम घुटने लगा।
तभी ट्रेन की आवाज से तन्द्र भंग हुई। बच्चे के हाथ पर पैसे रखकर दोनों तेजी से ट्रेन की ओर बढ़ गये।
सीमा हरि शर्मा 13.10.2014
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by seemahari sharma on October 14, 2014 at 11:09am
ह्रदय से आभार rajesh kumari जी आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया से अत्यधिक प्रोत्साहन मिला है। सदैव स्नेह बनाये रखें।
Comment by seemahari sharma on October 14, 2014 at 11:05am
बहुत बहुत आभार आदरणीय Khursheed Khairadi जी आपकी प्रतिक्रिया से लेखन को प्रोत्साहन मिला है। सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 14, 2014 at 10:48am

तस्वीर के दूसरे पहलु को उजागर करती हुई लघु कथा... बेरोजगारी की परतें खोलती पढ़े लिखे बेरोजगारों को देखकर नयी  पौध क्या सीखेगी ...जबरदस्त कटाक्ष करती हुई रचना बहुत-बहुत बधाई प्रिय सीमा जी. 

Comment by khursheed khairadi on October 13, 2014 at 10:16pm

आदरणीया सीमा जी मर्मस्पर्शी प्रसंग है |सर्वशिक्षा अभियान के तमाम कागजी दावों का पोल खोलती रचना है|इस वास्तविक चित्र के लिए आपको बधाई और कोटि अभिनन्दन |सादर 

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