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माँ की ममता का नहीं, होता कोई अंत।
सरिता है माँ नेह की, माँ का प्यार अनंत।।

माता बहना रूप में, हरदम करती प्यार।
मन जिनका निर्मल सदा, होता ह्रदय उदार।।

करुणा प्यार दुलार का,माँ का हरदम भाव।
कष्टों पर औषधि सदृश, भर जाती है घाव।।

कैसी भी हो परिस्थिति, माँ ही रहती साथ।
अपने बच्चों का कभी, नहीं छोड़ती हाथ।।

त्याग समर्पण के लिये, जग में माँ का नाम।
माँ के चरणों में बसे, सारे तीरथ धाम।।

माँ की ममता का यहाँ, कितना सुन्दर रूप।
ठिठुरे तन को ज्यों मिले, सर्दी में प्रिय धूप।

-राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment by ram shiromani pathak on October 2, 2014 at 9:59pm
आदरणीय गिरिराज जी बहुत बहुत आभार अमूल्य सुझाव व् उत्साह वर्धन हेतु।।सादर
Comment by ram shiromani pathak on October 2, 2014 at 9:57pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण भाई।।सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 2, 2014 at 9:22pm

आ. राम भाई , माँ की महिमा गाते आपके दोहों के लिए बहुत बधाइयाँ | बस - घाव को आपने स्त्रीलिंग ले लिया है , --- उसे सुधार लीजिएगा -- भर जाता है घाव , कहना सही है |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 2, 2014 at 12:16pm

आदरणीय भाई राम सिरोमणि जी, मां की महिमा का बखान करते इन बेहतरीन दोहों के लिए हार्दिक बधाई

Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2014 at 9:38am
आदरणीय हरिवल्लभ जी बहुत आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2014 at 9:37am
आदरनीय ख़ुर्शीद जी बहुत आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2014 at 9:36am
भाई जीतेन्द्र जी बहुत आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on October 1, 2014 at 9:35am
प्रिय पवन भाई बहुत आभार आपका
Comment by Pawan Kumar on September 30, 2014 at 11:05am

माँ की महिमा का सुन्दर वर्णन, बधाई आदरणीय भईया राम शिरोमणि पाठक जी!

Comment by harivallabh sharma on September 30, 2014 at 1:32am

माँ की महिमा तो अनंत है...माँ को समर्पित उत्तम दोहे आपके मित्र ram shiromani pathak जी बहुत बधाई आपको.

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