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"आये कोई जगाये मुझे"

आये कोई जगाये मुझे।
ज़िन्दा भी हूँ बताये मुझे।।1

हँसना मानों भूल गया हूँ।
आये कोई रुलाये मुझे।।2

उसे कभी भूल न पाउँगा।
उससे कहो भुलाये मुझे।।3

हमारे बीच कुछ बाकी हो।
नफ़रत हो गर जताये मुझे।।4

गर मैं एकलौता चिराग हूँ।
धुंध में कहीं जलाये मुझे।।5

वादा ना रोने का हो तो।
आये फिर गले लगाये मुझे।।6
*************************
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 653

Comment

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Comment by ram shiromani pathak on September 25, 2014 at 6:55pm
आदरणीय खुर्शीद साहब बहुत आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on September 25, 2014 at 6:54pm
आदरणीय विजय जी बहुत आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on September 25, 2014 at 6:10pm
प्रिय पवन भाई बहुत बहुत आभार
Comment by khursheed khairadi on September 25, 2014 at 9:32am

हमारे बीच कुछ बाकी हो।
नफ़रत हो गर जताये मुझे।।4

बहुत खुबसूरत राम शिरोमणि पाठक जी ,हार्दिक बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 24, 2014 at 10:21pm
आकर्षक , बधाई।
Comment by Pawan Kumar on September 24, 2014 at 7:12pm

सुन्दर प्रस्तुति भईया...
सादर बधाई!

Comment by ram shiromani pathak on September 24, 2014 at 7:08pm
आदरणीय नरेन्द्र जी बहुत आभार आपका।।
Comment by ram shiromani pathak on September 24, 2014 at 7:07pm
आदरणीय हरिवल्लभ जी बहुत आभार आपका।।
Comment by ram shiromani pathak on September 24, 2014 at 7:06pm
आदरणीय श्याम जी बहुत बहुत आभार आपका
Comment by ram shiromani pathak on September 24, 2014 at 7:04pm
आदरणीया सविता जी बहुत आभार आपका

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