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१-

जहाँ अश्रु की बूँदें

रोने वालों के दुखों को,

दुखों की सान्ध्रता को

कम कर देती है

 

वहीं पर यही अश्रु बूँदें

रोने वालों से भावनाओं से जुड़े

उनके अपनों को

बेदम भी कर देती है

 

२-

संयत नहीं हो पाए अगर आप

अपने भाव के साथ

तो वही भाव,

कहे गये शब्दों के अर्थ बदल देता है

 

और वहीं

अगर आप सही नहीं समझ पाए शब्दों को

तो शब्द,

आपके चहरे से प्रकट

भावों के अर्थ बदल देता है

**************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment

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Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2014 at 7:51am

आदरणीय  विजय भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका शुक्रिया |

Comment by ram shiromani pathak on August 18, 2014 at 11:37pm

sundar prastuti adarneey giriraaj ji...........saadar

Comment by kalpna mishra bajpai on August 18, 2014 at 8:38pm

अगर आप सही नहीं समझ पाए शब्दों को

तो शब्द,

आपके चहरे से प्रकट

भावों के अर्थ बदल देता है.........................सत्य कथन , बहुत सुंदर बधाई आप को 

Comment by Meena Pathak on August 18, 2014 at 7:38pm

बहुत सुन्दर ...सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 18, 2014 at 4:45pm
क्या क्षणिकाएँ हैं , क्षण भर में क्या से क्या हो जाये , गर अर्थ बदल जाये .
बधाई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी .

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