For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122/ 2122/ 212

मेरा ग़म लगता है हमसाया मुझे

जीने का फन ग़म ने सिखलाया मुझे

 

ये हवा मेरे मुताबिक तो नहीं

कौन तेरे शह्र में लाया मुझे

 

मुश्किलों में सिर्फ मेरी जाँ नहीं

खौफ़ में हर इक नज़र आया मुझे

 

हौसला, हिम्मत, दुआएँ, दोस्ती

तज़्रिबे ने बख़्शा सरमाया मुझे

 

धूप की शिद्दत बहुत थी राह में

माँ के आँचल से मिली छाया मुझे

 

कौन सा मैं रंग दूँ तुझको ग़ज़ल

ज़ीस्त के रंगों ने उलझाया मुझे

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 487

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 25, 2014 at 6:24pm

आदरणीया डॉ प्राची आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 25, 2014 at 11:52am

सभी शेर बहुत खूबसूरत हुए हैं... पुरअसर हैं 

हार्दिक बधाई आ० शिज्जू जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 19, 2014 at 9:56pm

आदरणीया गीतिका जी आपका तहेदिल से शुक्रिया

Comment by वेदिका on June 19, 2014 at 3:29am
कौन सा मैं रंग दूँ तुझको ग़ज़ल
ज़ीस्त के रंगों ने उलझाया मुझे .... कुर्बान इस रंग के चुनाव की अदा पर
हौसला, हिम्मत, दुआएँ, दोस्ती
तज़्रिबे ने बख़्शा सरमाया मुझे .. माशाल्लाह बहुत खूब तजुर्बा
बहुत बहुत शुभकामनायें

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 17, 2014 at 9:22pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर आपकी उपस्थिति सदैव उत्साहवर्धन करती है स्नेह बना रहे।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 17, 2014 at 1:02pm

शिज्जू भाई

बहुत सुन्दर गजल कही आपने i हर  शे-र में वज्न है i बधाई हो i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
5 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service