For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फौलाद भी

चोट से आकार बदल लेते हैं

या टूट जाते हैं

फिर इंसान की क्या बिसात

कब तक सहेगा चोट

आखिर टूटना पड़ेगा

इंसान ही तो है

मगर

टूटकर भी कायम रहेगा

या बिखर जायेगा

ये इंसान की प्रकृति तय करेगी

 

हालात बदलने को तैयार है

पुरानी सड़क पर

डामर की नई परत बिछेंगी

खण्डरों का जीर्णोद्धार होगा

पुरानी इमारत के मलबे पड़े हैं

कुछ मलबे काम आयेंगे

कुछ मलबे मिटाये जायेंगे

ये इंसान भी

एक रोज़ मलबे की तरह पड़ा होगा

 

भंगार अनुपयोगी है

मगर भंगार की भी कीमत है

कुछ भंगार हैं

पानी की खाली बोतल की तरह

जिसकी कोई कीमत नही

खाली तो खत्म

मेरे दिल ने मुझसे पूछा

भंगार तुम्हे भी होना है

ये कहो

टूटकर भी काम आओगे

या टूटकर सड़ोगे?

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 954

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 21, 2014 at 11:44am

आदरणीय जितेन्द्र भाई आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 21, 2014 at 11:43am

आदरणीय अरुण सर आपका हार्दिक आभार आदरणीय अरुण सर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 21, 2014 at 11:05am

गंभीर व् संघर्षरत इंसान का भविष्य हमेशा सुरक्षित होता है, इंसान जितना जमीन के ऊपर है अगर उतना ही जमीन के भीतर हो तो उसकी जड़े इतनी मजबूत हो जाती है कि बड़े से बड़ा तूफ़ान भी कुछ नही बिगाड़ सकता, सिर्फ एक-दो टहनियां ही तोड़ सकता है जो कि जड़ों की गहराई से वापस हरी-भरी हो जाती हैं. बस इंसान को अपने कर्तव्य व् जिम्मेदारियों पर डट कर रहना होगा.

इस सशक्त प्रस्तुति पर आपको पुन: बधाई आदरणीय शिज्जू जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 21, 2014 at 10:49am

जेवण की सार्थकता को प्रतिपादित करती इस यथार्थपरक रचना के लिए भाई शिज्जू जी को बहुत बहुत  बधाइयाँ .......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:57pm

आदरणीय कुंती जी रचना के अनुमोदन के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:56pm

आदरणीय डॉ गोपाल सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:55pm

आदरणीय आशुतोष सर आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:54pm

आदरणीय विजय सर आप जैसे वरिष्ठ रचनाकार का अनुमोदन पाकर रचनाकर्म सार्थक हुआ आपका दिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:54pm

आदरणीय गिरिराज सर आप जैसे रचनाकारों की संलग्नता से हमेशा सार्थक रचनाकर्म की प्रेरणा मिलती है आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 6:51pm

आदरणीया मीना जी आपका हार्दिक आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service