For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 "  सच!  बहुत ही अच्छे इंसान थे  बल्लू भैया !!    क्षेत्रीय बैंक के अध्यक्ष पद पर  होते हुए उन्होंने सभी की बहुत मदद की , जो कोई भी पहचान वाला आकर अपनी समस्या बतलाता , उसे  कैसे न कैसे बैंक से आर्थिक मदद  दिलवा ही देते थे.  आज कई लोग तो उन्हीं की वजह से आबाद हुए बैठे है"

 

" हाँ भाई..!  उनकी माँ के  मर जाने के बाद आज उनका  अपना कोई भी तो नहीं.  देखा न !  पिछले वर्ष जब उनकी माँ की मृत्यु हुई थी तो बल्लू भैया के साथ-साथ सैकड़ों लोग सिर मुंडवाने को आगे आ गये और कहने लगे कि यह हम सबकी भी माँ थी,  लेकिन आज बल्लू भैया की मृत्यु पर ......."

 

   जितेन्द्र 'गीत'

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 967

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 9, 2014 at 10:29am

आपकी उत्साहवर्धक सराहना लेखनकर्म को मनोबल देती है आदरणीय अखिलेश जी, स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 9, 2014 at 10:13am

आपका हार्दिक आभार आदरणीय के.पी.सक्सेना जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 9, 2014 at 10:12am

आदरणीय प्रदीप जी, रचना पर आपकी उपस्थिति व् सराहना हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ, स्नेह और आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 9, 2014 at 10:09am

रचना के भाव पर आपका निशब्द होना, रचना की सार्थकता को प्रमाणित करता है. आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय शिज्जू जी

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 9, 2014 at 10:01am

आप सही कह रही हैं आदरणीया कुंती जी, जिनसे  स्वार्थ हो वो जिन्दा हो या पद पर रहें तब तक सारी ड्रामेबाजी चल सकती है . लेकिन जैसे ही वो गये " दि एंड" .  आपकी सराहना हेतु आपका आभारी हूँ , स्नेहिल आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by Meena Pathak on May 8, 2014 at 7:18pm

बहुत सुन्दर ... आज का सच यही है .... बधाई | सस्नेह 

Comment by नादिर ख़ान on May 8, 2014 at 1:16pm

सही कहा आदरणीय जितेंद्र जी मनुष्य सामाजिक प्राणी से स्वार्थी प्राणी हो गया । सुंदर अभिव्यति ...कोमल हृदय से लिखी लघुकथा के लिए  बहुत बधाई आपको ...

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on May 8, 2014 at 12:44pm

आदरणीय जितेन्द्र भाई, 

कौन पूछता है जाने के बाद , जब कोई पीढ़ी नहीं है साथ ।

हार्दिक बधाई 

Comment by kp saxena 'dusre' on May 8, 2014 at 12:14pm

 kya khoob kataakchh kiya hai !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 7, 2014 at 10:49pm

आप सही कह रही है आदरणीया सविता जी, आज के समय में केवल स्वार्थ स्वार्थ और स्वार्थ ही रह गया है. आपका हार्दिक आभार

सादर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service