For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ दोहे (जवाहर लाल सिंह)

माली ऐसा चाहिए, किसलय को दे प्यार

खरपतवारहि छांटके, कलियन देहि निखार.

नित उठ देखे बाग़ को, नैना रहे निहार 

सिंचन, खुरपी चाहिए, मन में करे विचार

हवा ताजी तन में लगे, करे भ्रमर गुंजार,

दिल में यूं खुशियाँ भरे, होवे जग से प्यार

कर्म सबहि तो करत हैं, गर न करे प्रचार

लोग न जानहि पात हैं, जाने बस करतार     

दीपक ऐसा चाहिए, घर में करे प्रकाश

तन मन जारे आपनो, किन्तु नेह की आश.

उजियारा लेते रहें, बुझने न दें ज्योति  

समय समय पर तेल दें, कभी उभारें बाति  

(मौलिक व अप्रकाशित)

जवाहर लाल सिंह 

Views: 787

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 8, 2014 at 8:52pm

आदरणीय श्री शिज्जू शकूर जी, सादर अभिवादन!

मात्रा दोष निकालने के लिए धन्यवाद और आभार

पवन सुघर तन में लगे, भ्रमर करे गुंजार ... कैसा रहेगा ?  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 7, 2014 at 10:01pm

आदरणीय जवाहर लाल जी अच्छे दोहे हैं 

/हवा ताजी तन में लगे/ बस यहाँ 14 मात्रायें हो रहीं हैं

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 7, 2014 at 5:59am

आदरणीया श्रीमती कुंती महोदया, सादर अभिवादन!

प्रोत्साहन हेतु आपका अतिशय आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 7, 2014 at 5:58am

आदरणीय श्री नादिर खान साहब, सादर अभिवादन!

प्रोत्साहन हेतु आपका अतिशय आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 7, 2014 at 5:57am

आदरणीय श्री कुशवाहा जी, सादर अभिवादन!

प्रोत्साहन हेतु आपका अतिशय आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 7, 2014 at 5:56am

आदरणीय श्री श्याम नारायण वर्मा जी, आपका हार्दिक आभार!

Comment by coontee mukerji on May 7, 2014 at 1:28am

उजियारा लेते रहें, बुझने न दें ज्योति  

समय समय पर तेल दें, कभी उभारें बाति.....बहुत सुंदर बात.बहुत बहुत बधाई.

Comment by नादिर ख़ान on May 7, 2014 at 1:12am

हवा ताजी तन में लगे, करे भ्रमर गुंजार,

दिल में यूं खुशियाँ भरे, होवे जग से प्यार

उजियारा लेते रहें, बुझने न दें ज्योति  

समय समय पर तेल दें, कभी उभारें बाति..

आदरणीय जवाहर जी सुंदर दोहे कहे आपने नेक नसीहत भी दी ... बहुत खूब 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 6, 2014 at 9:35pm

माली ऐसा चाहिए, किसलय को दे प्यार

खरपतवारहि छांटके, कलियन देहि निखार.

नित उठ देखे बाग़ को, नैना रहे निहार 

सिंचन, खुरपी चाहिए, मन में करे विचार

हवा ताजी तन में लगे, करे भ्रमर गुंजार,

दिल में यूं खुशियाँ भरे, होवे जग से प्यार

कर्म सबहि तो करत हैं, गर न करे प्रचार

लोग न जानहि पात हैं, जाने बस करतार     

सारे के सारे  बढ़िया 

सादर बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on May 6, 2014 at 5:35pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई................

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service