For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये लोक तंत्र है
कहने के लिए
हम चुनते हैं 
अपना प्रतिनिधि
वोट देकर 
संविधान द्वारा स्थापित 
प्रक्रिया 
का सम्मान कर कर 
लोकतंत्र की गरिमा 
का 
मन रख,
पर मिलता है हमें
धोखा
सरकार बने
फिर कैसी जनता
कैसा जनतंत्र?
संविधान हमारा 
छत है
धुप, बारिश, पानी
सबसे बचाना इसका 
काम है
पर अब 
लगता है की 
इस छतरी में छेद है.
जिसका पैसा 
उसका कानून
और
फैसले भी उसके 
पक्ष में.
क्या यही अवधारणा थी 
हमारे 
विकसित लोकतंत्र की?
लोकतंत्र अब भीड़ तंत्र है
प्रतिनिधि 
अब नाम के हैं
ईमानदारी पर बैन लगा है
वोट
बाजारों में 
बिकता है
और 
मीडिया सच के इतर
सब कुछ दिखता है
भ्रष्ट नेता-भ्रष्ट प्रजा,
क्या यही 
सेनानियों का सपना था?
खून बहे
सर कटे
मिट गयी रियासतें
लोकतंत्र की पहली किरण फूटी 
और फिर
बलिदान व्यर्थ हुआ 
शहीदों का.
क्या यही उद्देश्य था
स्वतंत्रता संग्राम का?

"मौलिक और अप्रकाशित"

Views: 410

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 30, 2014 at 7:39pm

लोकतंत्र के मौजूदा स्वरुप पर आपकी रचना खुल कर अपनी बात कहती है 

कहीं कहीं टंकण त्रुटियाँ रह गयी हैं उन्हें दुरुस्त कर लें..

प्रस्तुति पर बधाई 

Comment by Satyanarayan Singh on April 22, 2014 at 10:26pm

 सार्थक रचना हेतु . हार्दिक बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 22, 2014 at 5:41pm

आ. अभिशेख भाई , रचना मे आपका दुख सही है , हम ही बिगाड़ने वाले हैं हमे ही सुधरना है भाई ! रचना के लिये बधाइयाँ  ।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 22, 2014 at 8:26am

अब भौतिक रूप में इस लोक तंत्र में व्यक्ति चुहूँ ओर ठगा सा महसूस करता है | यह सही है | विचारों की इस प्रस्तुति पर 

बधाई 

Comment by savitamishra on April 21, 2014 at 11:23pm

बहुत सुन्दर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
47 minutes ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service