For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ग़ज़ल 
 
बात मुझ से ये  कर  गया  पानी 
ये ना सोचो कि डर गया पानी
 
वो   हुनरमंद   है    ज़माने    में 
जिन की आँखों का मर गया पानी
 
हुई जो हक की बात महफ़िल में
जाने किस का उतर गया पानी
 
कल जो सैलाब था ज़माने पर 
अब समंदर के घर गया पानी
 
दौर  के  तौर  को  बदल  देगा 
जब भी सर से गुजर गया पानी
 
कैसी हमवार कर गया दुनिया 
अब तो जाने किधर गया पानी
 
कौन इस का हिसाब रखेगा 
राह होगी जिधर गया पानी    

Views: 423

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on May 15, 2011 at 2:37pm
dr datt aap ka abhaari hun
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on May 15, 2011 at 2:36pm
saahil sahab der se dekh paane ki maafi chahata hun shukriya
Comment by डॉ. नमन दत्त on May 14, 2011 at 4:18pm
" वो   हुनरमंद   है    ज़माने    में
जिन की आँखों का मर गया पानी
हुई जो हक की बात महफ़िल में
जाने किस का उतर गया पानी "
बेहतरीन ख़याल .....मक़ामी शायरी के लिए मुबारक़बाद....
Comment by Saahil on March 31, 2011 at 12:14am
waah waah! sab sher umda hain.........behtareen ghazal
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 17, 2011 at 11:55pm
 

विवेक जी आभारी  हूँ
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 17, 2011 at 11:39pm
गणेश जी आभारी  हूँ 
Comment by ASHVANI KUMAR SHARMA on February 17, 2011 at 11:36pm
आकर्षण जी आभार 
Comment by विवेक मिश्र on February 17, 2011 at 9:00am

एक मुश्किल रदीफ़ का खूबसूरती से निर्वाहन किया गया है. हार्दिक बधाई.

/कैसी हमवार कर गया दुनिया /
उपरोक्त मिसरा व्याकरण की दृष्टि से संदेहास्पद लगता है या शायद मेरे मन का भ्रम है. स्पष्ट कर देंगे तो संभवतः मेरे ज्ञान में भी थोड़ी वृद्धि होगी.
सादर

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 13, 2011 at 8:40pm

बेहद संजीदा ग़ज़ल, रदीफ़ का प्रयोग बहुत ही उम्द्दा है , काफियाबंदी का निर्वहन खूबसूरती से किया गया है, 

दौर  के  तौर  को  बदल  देगा 
जब भी सर से गुजर गया पानी
बेहद खुबसूरत शे'र , मुहावरा का प्रयोग भी साथ साथ , पूरी ग़ज़ल मे अलंकार का प्रयोग , दाद कुबूल कीजिये अश्वनी जी ,
Comment by Aakarshan Kumar Giri on February 13, 2011 at 7:50pm
bahut barhiya... ek shaandaar ghazal ke liye badhai....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
7 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service