For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ़ितूर (दीपक कुल्लुवी)

मेरे अंजुमन में रौनकें बेशक़ कम होंगी ज़रूर
क्या सोच के दोज़ख़ की तरफ़ चल दिए हज़ूर


आपने तो एक बार भी मुड़के देखा नहीं हमें
न जानें था किस बात का अपने आपपे गरूर


यह वक़्त किसी के लिए रुक जाएगा यहाँ 

निकाल देना चाहिए सबको दिमाग़ से यह फ़ितूर


चढ़ जाए एक बार तो हर्गिज़ उतरता ही नहीं
क़लम का हो शराब का हो या शबाब का हो सरूर


मासूम से थे हम 'दीपक' शायर 'कुल्लुवी'हो गए
हमसे क्या आप खुद से भी हो गए बहुत दूर

दीपक कुल्लुवी
पाराद्वीप उड़ीसा
17-4-14

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 935

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on April 20, 2014 at 12:54pm

धन्यवाद पाठक जी

दीपक'कुल्लुवी'

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on April 20, 2014 at 11:02am

गीतिका जी,अरुन जी रचना की विधा,बह्र से वाक़िफ़ नहीं हूँ मैं.… मेरे लिए यह मेरी अंतर्मन से लिखी केवल एक रचना है मैं अपनी लेखनी को हर तरह की बंदिशों से आज़ाद रखना चाहता हूँ किसी क़िस्म के दायरे में कैद नहीं करना चाहता क्योंकि मैं विद्वान नहीं। मन में जो ख्याल आया काग़ज़ पे उतार लिया इसलिए हिंदी,उर्दू के सब विद्वानों,प्रकांड पंडितों से मुआफ़ी चाहूँगा इस कमअक्ली के लिए।

जब वक़्त था, सीखा नहीं अब क्या खाक़ कर पाएँगे
चंद अशआर बचे हैं झोली में उन्हें सुना के निकल जाएँगे …।

दीपक'कुल्लुवी'

Comment by ram shiromani pathak on April 20, 2014 at 10:58am

भाव अच्छे लगे  आदरणीय   ..........  हार्दिक बधाई आपको 

Comment by वेदिका on April 19, 2014 at 11:53pm
रचना की विधा पर प्रकाश डालने की कृपा करें आदरणीय!!
Comment by अरुन 'अनन्त' on April 19, 2014 at 5:48pm

आदरणीय बह्र से अवगत कराएँ !!!

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on April 19, 2014 at 12:59pm

हक़ीक़त

हमनें तो अपना दर्द-ओ-ग़म आपके सामने रखा है
अब गीत समझो कविता समझो या समझो शेर-ओ-ग़ज़ल
दीपक 'कुल्लुवी' तो पागल है नाप तोल करना न आया
ग़ज़लों का वज़न तो कम ही रहा बस अपना ही वज़न बढ़ाया
******************************************
मेरे पिताश्री जयदेव 'विद्रोही' जी भी इस बात से खफ़ा रहते हैं कि मैंने कुछ सीखा नहीं.....

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on April 19, 2014 at 12:25pm

shukriya Jitendra ji for your valuable words

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 19, 2014 at 11:58am

यह वक़्त किसी के लिए रुक जाएगा यहाँ 

निकाल देना चाहिए सबको दिमाग़ से यह फ़ितूर............सौ फीसदी सत्य 

रचना पर बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय दीपक जी

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on April 19, 2014 at 7:26am

Giriraj Ji,Mukesh ji,Laxman ji aap sabka dhanyavad.galtiyon ke lie kshama kya kare school mein nalayak vidyarthi rhe hain jyada seekh nhin pae..koshish karenge zarur


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 18, 2014 at 5:37pm

आ. दीपक भाई , सुन्दर रचाना के लिये आपको बधाइयाँ !! अगर आपने गज़ल कही है तो बह्र का उल्लेख ज़रूर कर दिया कीजिये ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"कर्म किस्मत का भले खोद के बंजर निकला पर वही दुख का ही भण्डार भयंकर निकला।१। * बह गयी मन से गिले…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार बहुत अच्छा प्रयास तहरी ग़ज़ल का किया आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ही ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये एक से एक हुए सभी अशआर और गिरह…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये मक़्ता गिरह ख़ूब, हर शेर क़ाबिले तारीफ़…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"2122 1122 1122 22/112 घर से मेले के लिए कौन यूँ सजकर निकलाअपनी चुन्नी में लिए सैकड़ों अख़्तर निकला…"
1 hour ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, तरही ग़ज़ल कहने के लिए हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"वाह वाह, आदरणीय संजय शुक्ला जी लाजवाब ग़ज़ल कही आपने। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए हार्दिक बधाई। आदरणीय, केवल संज्ञान…"
1 hour ago
Rachna Bhatia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"2122 1122 1122 22 /112 1 जिसकी क़िस्मत में शनि राहु का चक्कर निकला  उसके अल्फ़ाज़ में शर…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय नादिर ख़ान भाई"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय Sanjay Shukla जी आदाब। अच्छी ग़ज़ल हुई है। दाद और बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब 2122 1122 1122 22 ( 112 ) दोस्त जो मुझको मिला साज़ समन्दर…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service