For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || न सोना न चांदी न धन ले गई ||

न सोना न चांदी न धन ले गई 

मुहब्बत मेरी बांकपन ले गई/१  

हजारों फ़रिश्ते गये हारकर 

मेरी जान तो गुलबदन ले गई/२  

नई ताजगी है नई सुब्ह है 

चलो! मौत मेरी थकन ले गई/३ 

न मशहूर होना खुदा के लिए 

समंदर नदी की उफन ले गई/४  

चलो बेच आएं बची रूह को  

गरीबी हमारे बदन ले गई/५ 

न ताक़त रही ज़ोश भी कम गया

शिकस्ते वफ़ा सब अगन ले गई/६ 

लिबासें चमकती रहे इसलिए 

सियासत शहीदी कफन ले गई/७ 

थका पर-कटा सा गया शाम को 

हंसी बुलबुलों की चुभन ले गई/८    

हुनर को सभी से छुपाकर रखा 

इलाही उसे भी सुखन ले गई/९  

 

.....................................................

सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित  

अरकान: १२२ १२२ १२२ १२  

Views: 930

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Saarthi Baidyanath on April 6, 2014 at 4:06pm

आदरणीया  coontee mukerji जी , हार्दिक धन्यवाद ! बहुत ही हर्षित हूँ आपका आशीष पाकर ! साथ बने रहिएगा महोदया ! सादर नमन सहित :)

Comment by coontee mukerji on April 6, 2014 at 1:14pm

हुनर को सभी से छुपाकर रखा 

इलाही उसे भी सुखन ले गई/९  ...........वाह क्या बात है.

 

Comment by Saarthi Baidyanath on April 6, 2014 at 1:00pm

आदरणीय  बसंत नेमा जी , बहुत बहुत धन्यवाद ! स्नेह देते रहिएगा महाशय ! सादर :)

Comment by बसंत नेमा on April 6, 2014 at 12:52pm

आदरणीय बैद्यनाथ जी. बधाई स्वीकारें

Comment by Saarthi Baidyanath on April 5, 2014 at 10:17pm

मुहब्बत मेरी , बांकपन ले गई // 

मुहब्बत , मेरा बांकपन ले गई //

समीक्षा की आकांक्षा के साथ , गुरुजनों से मार्गदर्शन चाहिए ! विनीत :)

Comment by Saarthi Baidyanath on April 5, 2014 at 10:13pm

सम्माननीया  Dr.Prachi Singh जी , सादर प्रणाम ! बहुत बहुत धन्यवाद ज्ञापित कर रहा हूँ ..! आपका कहना वाजिब है ..इस मंच से मेरी कई ग़ज़लें निखरीं हैं ..! विनीत निवेदन है की मतले को सही करने में मेरी मदद करें ! आपकी मंत्रणा का सम्मान कर रहा हूँ ..और आगे ग़ज़ल को वैसे ही प्रेषित करूंगा,  सधन्यवाद ! :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 5, 2014 at 9:16pm

सभी अश'आर बहुत सुन्दर हुए हैं 

मतले में मुझे भी लगा कि "मुहब्बत मेरा बांकपन ले गयी" होना चाहिए 

इस खूबसूरत ग़ज़ल पर हार्दिक दाद पेश है 

Comment by Saarthi Baidyanath on April 5, 2014 at 11:39am

जी आदरणीय  जितेन्द्र 'गीत' जी  , इसीलिए तो ये मंच, विशिष्ट है !  सादर :)

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 5, 2014 at 11:17am

 हम सब साथ-साथ ही है एक ही परिवार के सदस्य, जहाँ स्नेह, आशीर्वाद और बहुत अपनापन है. मुझे भी हमेशा आपके स्नेहिल मार्गदर्शन की आवश्यकता रहेगी आदरणीय बैद्यनाथ जी. :))    पुनः बधाई स्वीकारें

सादर !

Comment by Saarthi Baidyanath on April 5, 2014 at 10:51am

आदरणीय  CHANDRA SHEKHAR PANDEY जी ! बहुत बहुत शुक्रिया आपका ! आपकी उपस्थिति से हार्दिक खुशी हुई !  आपके मार्गदर्शन की निरंतर आवश्यकता है ! इस अमूल्य सुझाव का भी स्वागत करता हूँ !  विनीत नमन सहित :)

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
18 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
18 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service