For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -इक वहीँ से मुकद्दर दिला दीजिए

एक पुरानी ग़ज़ल -

२१२२    १२२१   २२१२

बेकली मेरे दिल की मिटा दीजिए

ऐ मेरे चारागर कुछ दवा दीजिए

 

कुछ तो जज्बात मेरे समझिए जरा

कुछ तो मेरी वफ़ा का सिला दीजिए

 

दिल धुआं है मगर शोले जलते नहीं

इन शरारों को थोड़ी हवा दीजिए

 

बस तिज़ारत जहाँ पर नसीबों की हो

इक वहीँ से मुकद्दर दिला दीजिए

 

नींद आई थी जब एक अरसा  हुआ

उम्र भर के लिए अब सुला दीजिए

 

दम घुटा है बहुत सोने की कैद में

मेरी माटी से मुझको मिला दीजिए

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1069

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on April 2, 2014 at 5:49pm
दम घुटा है बहुत सोने की कैद में
मेरी माटी से मुझको मिला दीजिए

बहुत खूब ख्याल किया आपने .... बेहद दाद कुबुलिये प्रिय संजू जी। भले ही एक पुरानी गजल पेश हुयी है, मगर इसके सार्वभौमिक भावों को सलाम करती हूँ।
Comment by Shyam Narain Verma on April 2, 2014 at 4:49pm
बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!
Comment by annapurna bajpai on April 2, 2014 at 3:26pm

प्रिय संजू शब्दिता जी सुंदर गजल , बहुत खूब , दाद कुबूल कीजिये । सस्नेह 

Comment by भुवन निस्तेज on April 2, 2014 at 2:24pm

बस तिज़ारत जहाँ पर नसीबों का हो

इक वहीँ से मुकद्दर दिला दीजिए

Aadarniyaa, heart touching...

Congratulations for the creations...

Comment by sanju shabdita on April 2, 2014 at 9:43am

उत्साह बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जीतेन्द्र 'गीत' जी

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 2, 2014 at 9:30am

बहुत सुंदर, भावनाओं से परिपूर्ण इस गजल पर आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीया संजू जी, यह शेर बहुत पसंदीदा हुए

कुछ तो जज्बात मेरे समझिए जरा

कुछ तो मेरी वफ़ा का सिला दीजिए

नींद आई थी जब इक जमाना हुआ

उम्र भर के लिए अब सुला दीजिए

 

दम घुटा है बहुत सोने की कैद में

मेरी माटी से मुझको मिला दीजिए

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service