For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फिर बसंत आया (गीत) - कल्पना रामानी

रंग-रँगीले रथ पर चढ़कर।

रस-सुगंध की झोली भरकर। 

फिर बसंत आया।

 

आज नई फिर धूप खिली है।

दिशा दिशा उजली उजली है।

कुहरे वाली बीती रातें।

नया सूर्य है, सुबह नई है।

 

नई इबारत फिर गढ़ने को   

परिवर्तन लाया।

 

गाँव गाँव में झूल पड़ गए।

अमराई के भाग्य खुल गए।  

अँबुआ पर नव अंकुर फूटे।

कुहू कुहू के बोल घुल गए।

 

मृदुल तान मृदु साज़ छेड़कर

कुंज-कुंज गाया। 

 

देख-देख पशुओं का मेला।

पाखी भी उमड़े पर फैला।

खुशबू, रंग, उमंगें पल-पल,

बाँट रहा ऋतुराज नवेला।

 

सघन वनों में जैसे कोई,

जादूगर आया।

 

धरी धरा ने पीत ओढ़नी।

मुग्ध हो रहे मोर-मोरनी।

डाल-पात सब गीत-गीत हैं।

प्रीत-प्रीत हैं कंत-कामिनी।

 

हुलस हृदय ले रही हिलोरें।

हर मन अकुलाया।     

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on March 6, 2014 at 10:21pm

आदरणीय सौरभ जी, सादर धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on March 6, 2014 at 10:20pm

आदरणीया प्राची जी, प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक आभार। आपका कहना सही है, कोशिश करके देखूँगी कुछ बदलाव कर सकी तो संशोधन कर दूँगी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2014 at 12:55am

इस कविता के मर्म में ताज़ग़ी है. 

सादर बधाइयाँ


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 24, 2014 at 8:42pm

बसंत की ख़ूबसूरती को बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है 

कुहरे वाली बीती रातें।

नया सूर्य है, सुबह नई है।

नई इबारत फिर गढ़ने को   

परिवर्तन लाया।.......................बहुत ताजगी और विशवास भरी पंक्तियाँ , वाह !

अंतिम बंद भी बहुत सुन्दर शब्द चित्र प्रस्तुत करता है.

फिर भी बंद के भीतर पंक्तियों की तुकान्तता को और साधा जा सकता था.

इस नवगीत के लिए हार्दिक बधाई आ० कल्पना जी 

Comment by कल्पना रामानी on February 23, 2014 at 11:40pm

प्रिय बृजेश, रचना पर आपकी उपस्थिति हर्षित करती है। आपका हृदय से धन्यवाद

Comment by कल्पना रामानी on February 23, 2014 at 11:40pm

प्रिय शशि, रचना पर आने और सुंदर टिप्पणी करके प्रोत्साहित करने केलिए आपका हार्दिक धन्यवाद

Comment by shashi purwar on February 20, 2014 at 9:17am

बहुत सुन्दर गीत है आदरणीय कल्पना दीदी

रंग-रँगीले रथ पर चढ़कर।

रस-सुगंध की झोली भरकर। 

फिर बसंत आया। . रस सुगंध भरा यह गीत आपको हार्दिक बधाई

Comment by बृजेश नीरज on February 19, 2014 at 11:47pm

//हुलस हृदय ले रही हिलोरें।

हर मन अकुलाया।//

वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई! 

Comment by कल्पना रामानी on February 19, 2014 at 11:18pm

आदरणीय श्याम नरेनजी, जितेंद्र जी, राम शिरोमणि जी, शिज्जु जी,   अनिल कुमार जी आदरणीया अन्नपूर्णा जी,  सरिताजी  राजेश कुमारी जी, रचना सराहना करके प्रोत्साहित करने के लिए आप सबका हृदय से आभार

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 19, 2014 at 9:05pm

गाँव गाँव में झूल पड़ गए।

अमराई के भाग्य खुल गए।  

अँबुआ पर नव अंकुर फूटे।

कुहू कुहू के बोल घुल गए।.............बहुत सुंदर मनभावन

सच! ऋतू परिवर्तन को बहुत ही सुंदर शब्द व् भावों से संजोया आपने आदरणीया कल्पना जी, हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
13 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
14 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
14 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
17 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
19 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service