For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल... बागों बुलाती है सुबह (कल्पना रामानी)

रात पर जय प्राप्त कर जब जगमगाती है सुबह।

किस तरह हारा अँधेरा, कह सुनाती है सुबह।

 

त्याग बिस्तर, नित्य तत्पर, एक नव ऊर्जा लिए,

लुत्फ लेने भोर का, बागों बुलाती है सुबह।   

 

कालिमा को काटकर, आह्वान करती सूर्य का,

बाद बढ़कर, कर्म-पथ पर, दिन बिताती है सुबह।

 

बन कभी तितली, कभी चिड़िया, चमन में डोलती,

लॉन हरियल पर विचरती, गुनगुनाती है सुबह।

 

फूल कलियाँ मुग्ध-मन, रहते सजग सत्कार को,

क्यारियों फुलवारियों को, खूब भाती है सुबह।

 

इस मधुर वेला में हम भी, क्यों न उठकर चल पड़ें,

मन उतारें रंग जो, हर दिन दिखाती है सुबह।

मौलिक व अप्रकाशित  

Views: 737

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कल्पना रामानी on February 1, 2014 at 8:12pm

आदरणीय रमेश कुमार जी, आ॰ बृजेश जी,  आ॰ अन्न पूर्णाजी, आ॰  गिरिराज जी, आ॰  नादिर खान जी, आ॰ बैद्यनाथ जी, आ॰ मोहिनीजी, आ॰ नीरज जी, रचना को स्नेह देने के लिए आप सबका हृदय से आभार।

Comment by बृजेश नीरज on February 1, 2014 at 7:32pm

वाह! बहुत सुन्दर! रचना ने मन के भीतर तक सुबह का एहसास करा दिया! आपको बहुत-बहुत बधाई इस खूबसूरत रचनाकर्म पर!

Comment by annapurna bajpai on February 1, 2014 at 7:00pm

आ0 कल्पना दी बहुत सुंदर गजल के लिए आपको हार्दिक बधाई । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 1, 2014 at 6:10pm

आदरणीय कल्पना जी , सुन्दर हिन्दी ग़ज़ल के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by रमेश कुमार चौहान on February 1, 2014 at 4:31pm

वाह क्या सुबह है, हिन्दी की बेहतरीन गजल

आदरणीया रामानीजी बहुत बहुत बधाई

Comment by Neeraj Neer on February 1, 2014 at 2:06pm

वाह सुबह का कितना सुन्दर रूप स्थापित कर दिया आपने इस ग़ज़ल के माध्यम से .. बहुत सुन्दर ...

Comment by mohinichordia on February 1, 2014 at 11:48am

इस मधुर वेला में हम भी ...बहुत सुंदर वर्णन किया है सुबह का , कल्पना जी आपकी हर रचना खूबसूरत होती है |

Comment by Saarthi Baidyanath on February 1, 2014 at 10:41am

बेहतरीन ग़ज़ल ! हिन्दीमय कर दिया हम सबको आपने ! हार्दिक बधाई स्वीकार करें !..

इस मधुर वेला में हम भी, क्यों न उठकर चल पड़ें,

मन उतारें रंग जो, हर दिन दिखाती है सुबह।........उत्तम !

Comment by नादिर ख़ान on January 31, 2014 at 11:44pm

 सुंदर चित्रण आदरणीया कल्पना रामानी जी बहुत खूब ....

बेहतरीन अशआर ........ 

Comment by कल्पना रामानी on January 31, 2014 at 10:53pm

आदरणीया प्राची जी, कुंती जी, आदरणीय शरदिन्दु जी, प्रशंसात्मक शब्दों के लिए हार्दिक आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service