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आज ....शाम कुछ अच्छी लगी !

मन शाम के बहानों से उदास

सोच के सागर किनारें

गुज़रते लम्हों के

सफ्हें बदलता रहा

कब आँखे थक कर

बैठ गयी ख़बर नहीं

ज़ेहन में एक तस्वीर

उभर आयी

शांत चेहरे पर

झीनी सी मुस्कराहट

होठों की नमी उड़ी थी कहीं

पर आँखे शरारती

जैसे कह रही थी मुझे

''अच्छा तो तुम अब ऐसे याद करोगी''

 

आँखे खुल गयी चौंक कर

कुछ नहीं था, कोई नहीं था

बस वो ख्याल था और

बहुत देर तक साथ रहा

 

आज शाम कुछ अच्छी लगी…..

(मौलिक एव अप्रकाशित)

प्रियंका.......

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Comment

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Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 7:21pm

आदरणीया कुंती जी....सराहना के लिए आपका धन्यवाद....

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 7:20pm

आदरणीया मोहिनी जी.....आपका आभार ....

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 7:19pm

आदरणीय विजय सर .....रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार...... 

Comment by Priyanka singh on January 21, 2014 at 6:24pm

आदरणीया वन्दना जी ...बहुत बहुत शुक्रिया ......


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2014 at 10:11pm

आदरणीया प्रियंका जी , बहुत खूबसूरत रचाना के लिये आपको हार्दिक बधाई ॥

Comment by coontee mukerji on January 20, 2014 at 3:15pm

आँखे खुल गयी चौंक कर

कुछ नहीं था, कोई नहीं था

बस वो ख्याल था और

बहुत देर तक साथ रहा....बहुत  सुंदर

Comment by mohinichordia on January 20, 2014 at 9:21am

nice poem

Comment by vijay nikore on January 20, 2014 at 8:44am

 

अति सुन्दर बिम्बों से सजी अत्यन्त मनोहारी, अनुपम रचना।

 

मन आनन्दित हो गया इसे पढ़ कर। ढेर सराहना के साथ ....

 

आपको हर्दिक बधाई, आदरणीया प्रियंका जी।

 

सादर,

विजय निकोर

 

Comment by vandana on January 20, 2014 at 7:39am

कोमल भावों को समेटे प्यारी सी रचना आदरणीया प्रियंका जी 

कृपया ध्यान दे...

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