For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

5 जनवरी 2014 को रात्रि 8.45 बजे मेरी बिटिया ने जन्म लिया। मैं उसे माँ दुर्गा का प्रसाद मानता हूँ। पिता बनने का सुख ही कुछ दिव्यानुभूतिकारी होता है। गदगद् भाव से मैं अपनी पुत्री को माँ दुर्गा का स्वरूप मान कर एक घनाक्षरी छंद प्रस्तुत कर रहा हूँ-
*****************************
सुता रूप धार मात, गेह जो पधारी आप,
चरण युगल माथ, कोटिश: नवाता हूँ।
आह्लादकारी जन्म, किलकारी रही गूँज,
मुग्धकारी महतारी, आप गुन गाता हूँ॥
जैसे लिया जन्म मात, किया उपकार बहु,
वैसे जियो शत साल, हिय से मनाता हूँ।
जन उर ताप हारी, भव भय पार कारी,
प्रकृति स्वरूप तुम, मुग्ध गुन गाता हूँ॥

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 9949

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 21, 2014 at 7:41pm
आदरणीय सत्य नारायन जी! बधाई, प्रतिक्रिया के लिये आपका हार्दिक आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 21, 2014 at 7:30pm
आदरणीय लक्ष्मन धामी जी! आपका बहुत बहुत आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 21, 2014 at 7:07pm
आदरणीय गिरिराज जी! आपका बहुत बहुत आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 21, 2014 at 7:04pm
आदरणीया कुन्ती जी! आपका बहुत बहुत आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 21, 2014 at 7:02pm
आदरणीया मीना जी! आपका हृदय तल से आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 21, 2014 at 7:01pm
आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी! रचना पर समय देने और बिटिया को मिले शुभाशीष के लिये मैं आपका हृदय से आभारी हूँ।
Comment by Satyanarayan Singh on January 21, 2014 at 10:54am
आ, विंधेश्वरी जी प्रथमतः कन्या रत्न प्राप्ति हेतु आपको हार्दिक बधाई. इस शुभ अवसर पर नवजात शिशु को दीर्घ आयुष्य एवं निरामय जीवन प्राप्त हो इन ढेरों मंगल काकामनाओं के साथ इस ख़ुशी में आप द्वारा रचित सुन्दर घनाक्षरी हेतु आपको ढेरो बधाई प्रेषित करता हूँ
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 21, 2014 at 7:31am

आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , लाजवाब छन्द रचना और पुत्री रत्न की प्राप्ति , दोनो के लिये हार्दिक बधाइयाँ .

रहे सात जन्मों तक आशीष माता का
यही आशीष तुमको है एक भ्राता का

सुता के रूप आई मा तुम्हारे द्वार ये अच्च्छा
करे मान वर्धन, चिरंजीवी रहे है यही इच्च्छा


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 20, 2014 at 10:07pm

आदरणीय विन्ध्येश्वरी भाई , लाजवाब छन्द रचना और पुत्री रत्न की प्राप्ति , दोनो के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by coontee mukerji on January 20, 2014 at 3:17pm

बहुत सारी बधाएयों के साथ....विनय जी.सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
23 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service