जाने वाला साल सब सुख चैन ले गया
नयनों में है नीर दिल में दर्द दे गया /
क्या मनाएं साल उस बिन अब लगे न दिल
एक झटके में सभी अरमान ले गया /
मुस्कराएँ हम क्या तेरे बिन ओ साथी अब
खुशिओ का तू सारा ही सामान ले गया /
उसकी हर आहट का होता है मुझे गुमाँ
खुद को समझायें क्या वो संसार से गया /
याद आती उसकी है अब रात रात भर
यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया /
काटना है अब अकेले उस बिना सफ़र
जिन्दगी भर का गमे पैगाम दे गया /
मौलिक व् अप्रकाशित......
Comment
रचना मर्म स्पर्शी बन पड़ा है, इस खूबसूरत रचना के लिये बधाई स्वीकार करें
आदरणीय श्याम जी शुक्रिया
आदरणीय गिरिराज जी हार्दिक आभार
शुक्रिया मोहिनी जी
| इस खूबसूरत रचना के लिये दिली दाद कुबूल करें ..... |
आदरणीया सरिता जी , बहुत दर्द है इस रचना मे , मै भी बह गया !! बहुत खूबसूरत रचना के लिये आपको बधाई ॥
खूबसूरत यादों की कसम खाकर अपना सफर जारी रखना होगा | चरैवेति- चरैवेति का हमारे शास्त्रों का सन्देश हर परिस्थिति में साथ रखें, जीवन अवश्य आगे बढ़ेगा | अभिव्यक्ति मन हल्का करने के लिये अच्छा माध्यम है |
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