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ढूँढ़ता है दिल मेरा

तेरी सूरत का नज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

बस धड़कने का सहारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

बेवफाई कि खिजां में खो गया था जो कभी ,

प्यार का मौसम दुबारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

जिनकी कातिल सी अदा पर मर मिटा था ये कभी ,

उन निगाहों का इशारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

भूलकर दुनिया के सारे  आशियाँ और मकाँ ,

तेरे आँचल में गुज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

मौलिक व अप्रकाशित

   नीरज 'प्रेम'

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Comment

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Comment by Neeraj Nishchal on January 8, 2014 at 12:51pm

आदरणीय अरुण भाई आपका मतलब है

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

इस पंक्ति को बोलने पर स्वर बाधित हो रहा है और शायद इसी को
तकाबुले रदीफ़ का दोष भी कहते हैं मै कोशिश करता हूँ इसे ठीक करने की
ग़ज़ल कक्षा का अध्ययन करूँ तो शायद और भी सारी कमियों को जान पाऊँ
और अब समझ भी पा रहा हूँ ग़ज़ल संगीत से किस तरह जुड़ी है और पूरी तरह
मुझे लगता है संगीत पर ही आधारित है जहाँ एक छोटा सा स्वर भी बाध्य नही होता
है इतना सबकुछ सिखाने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया बहुत बहुत आभार

Comment by Neeraj Nishchal on January 8, 2014 at 12:25pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत शुक्रिया करता हूँ आपका ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 6, 2014 at 3:34pm

विधान और शिल्प के हिसाब से आपकी अबतक की सबसे सार्थक प्रस्तुति को पढ़ रहा हूँ.  इस भावपूर्ण ग़ज़ल के हो जाने पर दिल से बधाई लीजिये भाईजी. 

आपने २१२२ २१२२ २१२२ २१२ के वज़्न में मिसरे बाँधे हैं. इसे बता भी दिया होता. इस बिना पर आखिरी शेर का पहल मिसरे को फिर से देखे जाने की ज़रूरत है.

भाई अरुन अनन्त ने भी एक इशारा किया है. हम इसी ढंग से सीख कर अपनी रचनाओं के कथ्यों को बेहतर प्रस्तुत करने लगते हैं.

शुभेच्छाएँ.

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on January 4, 2014 at 7:49pm
भाई नीरज जी! सुन्दर गजल हुई है। बधाई।
Comment by अरुन 'अनन्त' on January 2, 2014 at 11:22am

नीरज प्रेम भाई बहुत ही सुन्दर भाव बेहतरीन प्रयास किया है आपने आपकी मेहनत रंग ला रही है.

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा । ये शेर सबसे अधिक पसंद आया किन्तु इसमें तकाबुले रदीफ़ का दोष है. आप भी देख लें.

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 2, 2014 at 7:17am

भाई , नीरज जी , इस शे र के लिये हार्दिक बधाइयाँ .

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा .

Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 9:16pm

आदरणीय अखिलेश जी आपको भी नव वर्ष मुबारक हो और बहुत बहुत आभार ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 9:00pm

सारिका जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
यहाँ सभी बहुत ही उत्कृष्ट प्रतिभाशाली रचनाकार हैं
और सभी कि ही रचनाएं अद्भुत हैं

Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 8:56pm

आदरणीया मुखर्जी जी सहृदय आभार व्यक्त करता हूँ ।

Comment by Neeraj Nishchal on January 1, 2014 at 8:54pm

आदरणीय भण्डारी जी तहे दिल से और बड़े ही अहोभाव से आपका आभार ।

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