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“एक पोता भी  नही दे सकी कलमुंही”  वार्ड में सास की आवाज़ गूँजी,

इतने में अंदर आते हुये डॉक्टर ने जब ये सुना तो कहा- “पति के शरीर में एक्स- वाई(X-Y) क्रोमोसोम्स होते हैं, पत्नि के शरीर में एक्स-एक्स(X-X) क्रोमोसोम्स होते हैं, पति का वाई(Y) क्रोमोसोम पत्नि के एक्स(X) क्रोमोसोम से मिलता है तो बेटा होता है, पति का एक्स(X) क्रोमोसोम पत्नि के एक्स(X) क्रोमोसोम से मिलता है तो बेटी होती है l

पता नही आपके क्या समझ में आया?  लेकिन इतना सच जान लीजिये आपको पोता नही मिला उसका पूरा दोष आपके बेटे का है।“

 

बहू की आँखें मानो पूछ रही थी- “ क्या अब आप अपने बेटे से बोल सकती हैं एक पोता भी नही दे सका.....................?”

 

-मौलिक व अप्रकाशित

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 27, 2013 at 7:32pm

आदरणीय बृजेश जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 27, 2013 at 7:31pm

आदरणीय सौरभ सर आपने रचना के मर्म को समझा बहुत बहुत शुक्रिया, मैं ये आसान शब्दों में समझाना चाहता था, मगर पूरी तरह से कामयाब न हो सका इसके बावजूद आप सभी का स्नेह मिला, निःसंदेह मेरा हौसला बढ़ा है आगे कोशिश रहेगी कि और अच्छा करूँगा आपका स्नेह बना रहे:-))
सादर

Comment by बृजेश नीरज on December 27, 2013 at 9:56am

मानसिकता नहीं बदलती! एक बहुत अच्छी लघु कथा! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 27, 2013 at 2:21am

आधारभूमि में पड़े किसी बीज के सामर्थ्य के सापेक्ष अपने व्यक्तिगत मंतव्यों को आधारित न करने के स्थान पर आधारभूमि की उर्वरता तथा उसके पोषण-भाव पर ही संदेह करने का चलन अपने मानवीय समाज के लिए कितना बड़ा अभिशाप बन कर बजरा है यह कहने की आवश्यकता नहीं है.
यह अवश्य है कि क्रोमोसोम्स यानि गुण-सूत्र (वस्तुतः ऑटोसोम्स और सेक्सोसोम्स की प्रोटीनी लड़ियाँ) के व्यवहार की जानकारी के न होने का कारण मात्र अज्ञानता नहीं, बल्कि परपीड़ा भी है.


एक समृद्ध लघुकथा पोता के लिए हार्दिक बधाई, भाईजी.
शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 25, 2013 at 8:56pm

आदरणीया महिमा जी आपका आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 25, 2013 at 8:55pm

आदरणीय सत्यनारायण जी बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by MAHIMA SHREE on December 25, 2013 at 8:23pm

डॉ कितना भी जींस  , क्रोमोजोम्स और डीएनए की बातें बता दे ...  मानसिकता नहीं बदलती .....क्योंकि इसके लिए शिक्षित  और खुला दिमाग भी होना पड़ेगा .माता जी को ..  हार्दिक बधाई आ. शिज्जू जी   

Comment by Satyanarayan Singh on December 25, 2013 at 7:57pm
आ. शिज्जू जी जब बेटी ही नही होगी तो फिर बेटा कहाँ से आयेगा इस वास्तविकता को वैज्ञानिक दृष्टी से समझाने का सार्थक प्रयास लघुकथा के माध्यम से आपने किया है हार्दिक बधाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 25, 2013 at 6:19pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया भाई अरुण जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 25, 2013 at 6:18pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शुभ्रांशु जी

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