For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ ऐसे पुकारा तुमने (अन्नपूर्णा बाजपेई)

कुछ इस तरह पुकारा तुमने

कदम भी मेरे लगे बहकने 

कुछ इस .........

दामिनी दमक उठी नैनो मे

सरगम छनक उठी साँसों मे

हृद वीणा सी  झंकृत कर दी

जागे से लगने लगे सपने 

कुछ .......................

अन्तर्भावों की सुरवलियों मे

उद्गारों की हारावलियों मे

शब्द सुशोभित सज्जित कर दी

मन-कानन सब लगे महकने 

कुछ .....................

अप्रकाशित एवं मौलिक

 (संशोधित रचना)

 

Views: 623

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 24, 2013 at 7:19pm

अति सुन्दर, कोमल भाव। बधाई।

Comment by annapurna bajpai on December 24, 2013 at 5:27pm

आ0 वैद्य नाथ जी , आ0 आशीष जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on December 23, 2013 at 11:23pm

प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति |
बढ़िया रचना पर हार्दिक बधाइयाँ आदरणीया अन्नपूर्णा जी !

Comment by Saarthi Baidyanath on December 23, 2013 at 6:40pm

शब्दों की सज्जा ..बढ़िया लगी !...सुन्दर रचना :)

Comment by annapurna bajpai on December 23, 2013 at 6:09pm

आदरणीय जितेंद्र जी , अविनाश जी , आ0 भण्डारी जी , मीना जी , श्याम नारायण जी अप सभी का हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on December 23, 2013 at 6:06pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Shyam Narain Verma on December 23, 2013 at 4:39pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 23, 2013 at 4:07pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी , बहुत सुन्दर रचना ॥ आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by Meena Pathak on December 23, 2013 at 11:41am

अन्तर्मन की कुसुमावलियों मे

उद्गारों की हारावलियों मे

शब्द सुशोभित सज्जित कर दी

कुछ ऐसे .......................सुन्दर मनभावन गीत ,, बधाई आप को आ० अन्नपूर्णा जी | सादर 

Comment by AVINASH S BAGDE on December 23, 2013 at 11:39am

अन्तर्मन की कुसुमावलियों मे

उद्गारों की हारावलियों मे अभिव्यक्त होती अन्नपूर्णा जी की  बात 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service