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शीत मलयज लिए, बदरी मैं नीर भरी

(विजया घनाक्षरी) ८,८,८,८ पर प्रत्येक चरण में यति अंत में लघु गुरू या नगण

.

१)

शीत मलयज लिए,  बदरी मैं नीर भरी

भरती मैं रूप नए , धरती सी धीर  धरी

यत्त पंख चाक हुए , उड़ने से नहीं डरी

गरल के घूँट पिए , पीकर मैं नहीं  मरी

अगन संताप दिए, प्रत्यक्ष तस्वीर खरी

 बहु किरदार जिए , जगत की पीर  हरी

 परहित भाव लिए, संकल्प से नहीं टरी                                 

पुष्प गुँफ झर गए, डार कभी नहीं झरी  

(२)

जितनी भी बार कटा ,मेरा कद और बढ़ा

जब-जब घिरी घटा ,हिना रंग खूब  चढ़ा

मृत्ति पिंड कुटा पिटा ,पात्र मजबूत गढ़ा

जितना आकार छटा, कवच गंभीर मढ़ा

उष्मा पर रहा डटा, क्षीर उतना ही कढ़ा

कंटक से  पाँव अटा ,निडर आगे ही बढ़ा

गिरी का दमन रटा , शीर्ष पर ताज नढ़ा

 कुदरत प्रष्ठ फटा ,पाठ उससे भी पढ़ा

**************************************

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2013 at 11:40am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी ,छंद आपको प्रभावित किये मेरा लिखना सार्थक हुआ आपकी बधाइयां दिल से स्वीकार बहुत बहुत आभार आपका सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2013 at 11:38am

लक्ष्मण धामी जी आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 20, 2013 at 11:38am

आदरणीया कल्पना जी आपको छंद पसंद आये पढ़कर उत्साह वर्धन हुआ सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 20, 2013 at 11:07am
आदरणीया राजेश कुमारी जी , दोनो छंद लाजवाब लगे , पढ़ के आनन्द आया । शिल्प का ज्ञान नही है । रचना के लिये आपको अनेकों बधाइयाँ ॥
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2013 at 7:26am

जितनी भी बार कटा ,मेरा कद और बढ़ा

बहुत खूब

Comment by कल्पना रामानी on December 19, 2013 at 10:03pm

बहुत अच्छे लगे आपके दोनों छंद आदरणीय राजेश कुमारी जी, हार्दिक बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 19, 2013 at 5:18pm

आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी आपको घनाक्षरी अच्छी लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 19, 2013 at 5:17pm

आदरणीया मीना पाठक जी आपको घनाक्षरी पसंद आई ,इस उत्साह वर्धन के लिए हार्दिक आभार आपका 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on December 19, 2013 at 2:33pm

सुंदर भावपूर्ण घनाक्षरी की बधाई आ. राजेशकुमारीजी, प्रथम  घनाक्षरी  की विशेष बधाई । 

Comment by Meena Pathak on December 19, 2013 at 2:04pm

आदरनीय राजेश जी बहुत सुन्दर , आनंद आया पढ़ कर | शिल्प के बारे में तो गुनिजन ही जाने, मेरे मन को  बहुत भाया 
सादर बधाई आप को 

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