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है वही रास्‍ते 

पथरीले चौड़े

पतले पक्‍के

घट गये रास्‍ते

बढ़ गयी दूरियाँ

 है वही गिलास

शरबतों से भरे

शराब से खाली

नशा प्‍यार का

नशा नशा का

दरवाजों पे दरबार

मन की शांति

मन का तनाव

भूला प्‍यार

बचा टकरार

वही है  रिश्‍ते

निभाने की होड़

दिखावट की होड़

मदद चाहत

मदद डर

प्रेम है वहीं

मन का मिलन

तन का मिलन

समर्पित  हम

धन समर्पित

कल हम आज हम

वही कल आज वही

सूरज वही रौशनी वही 

चॉंद वही चॉंदनी वही

मगर ना वही

तुम्‍हारी सभ्‍यता

तुम्‍हारे संस्‍कृति

ना तुम्‍हारे संस्‍कार

तुम्‍हारी पहचान वही

आज

लोभ,अहंकार

आधुनिकता

निर्लज्‍जता

और आडंबर में

बदल गया संसार

बदल गया संसार

 

 

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी की रचना

Views: 653

Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 11:50pm

बहुत अच्छा लगता है कि आप गंभीर प्रयास के प्रति आग्रही हैं..

शुभेच्छाएं

Comment by Akhand Gahmari on December 13, 2013 at 11:03am

आदरणीया वंदना जी उत्‍साहवर्धन हेतु प्रणाम

Comment by Akhand Gahmari on December 13, 2013 at 11:02am

आदरणीय शिज्‍जू शंकर जी उत्‍साहवर्धन हेतु प्रणाम

Comment by vandana on December 13, 2013 at 7:14am

बहुत बढ़िया आदरणीय 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 12, 2013 at 10:07pm

अच्छा प्रयास है आदरणीय अखंड गहमरी जी बधाई स्वीकार करें

Comment by Akhand Gahmari on December 12, 2013 at 8:18pm

आदरणीया coontee mukerji जी आपके मार्गदर्शन के हम अभिलाषी है, आप अपने विचार से हमें अगवत कराये, निखार के विषय में थोडा मार्गदर्शन करे

Comment by coontee mukerji on December 12, 2013 at 6:18pm

तुम्‍हारी सभ्‍यता

तुम्‍हारे संस्‍कृति

ना तुम्‍हारे संस्‍कार

तुम्‍हारी पहचान वही

आज

लोभ,अहंकार

आधुनिकता

निर्लज्‍जता

और आडंबर में

बदल गया संसार

बदल गया संसार...........बहुत सुंदर लिखा है अखण्ड जी,भाव विचार भी अच्छे है लेकिन थोड़ा और सँवार देंगे तो रचना निखर आएगी.यह मेरा मत है. ज़रूरी नहीं कि अमल किया जाय. शुभेच्छु

 

Comment by Akhand Gahmari on December 12, 2013 at 4:48pm

आदरणीय डा गोपाल नारायण श्रीवास्‍तव उत्‍साहवर्धन एवं मार्गदर्शन हेतु प्रणाम

Comment by Akhand Gahmari on December 12, 2013 at 4:48pm

आदरणीया मीना पाटकर जी उत्‍साहवर्धन हेतु प्रणाम

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 12, 2013 at 4:45pm

गहमरी जी

बहुत सी बाते जो कल थी आज भी है 

पर बदल गया संसार

शीर्षक विचारणीय है  i   आपको सतत प्रोत्साहन

कृपया ध्यान दे...

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