For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

बहर-ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ (8 गुरु)
.
गलियों-गलियों गाना भी है।
रस्ते में मैख़ाना भी है॥
.
नफ़रत की मारामारी में,
चाहत का पैमाना भी है।
.
अपनी कुटिया के पीछे ही,
उनका दौलतख़ाना भी है।
.
लाखों हैं कनबतियाँ लेकिन,
नैनों का टकराना भी है।
.
दोपहरें अलसाएँ तो क्या,
भोरों का इठलाना भी है।
.
कितने बल हैं पेशानी पर,
परियों का शरमाना भी है।
.
झूठों की हाँडी के नीचे,
सच का आतिशख़ाना भी है।
.
आने वाले कल का दुखड़ा,
इस पल का इतराना भी है।
.
ग़ैरों की रेलमपेलों में,
इक जाना-पहचाना भी है।
.
घुँघरू बाँधे मीरा नाचे,
काशी का मस्ताना भी है।
.
अंधों-कानों की नगरी में,
नज़रों का नज़राना भी है।
.
चमकीले पुतलों के पीछे,
जोगी वाला बाना भी है।
.
दिन की बातें कहते-सुनते,
साँझों में घर जाना भी है॥
.
-मौलिक व अप्रकाशित।
-06.12.2013

Views: 936

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on January 18, 2014 at 8:23am
Thanks a lot Gumnaam Ji.
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 17, 2014 at 6:41pm

bahut khoob kahaa hai sir badhai aaplo..........

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 12:41am

भाई जी.. वाह ! खूब खूब !

आपने ग़ाफ़ (गुरु) के चार जोड़े लिये हैं. वैसे कहते हैं कि मिसरों के वज़्न में गुरु (ग़ाफ़ या दीर्घ) विषम संख्या में हों तो गेयता में और प्रवाह आ जाता है. 

एक भली कोशिश के लिए बहुत-बहुत बधाई.. .

Comment by Ravi Prakash on December 11, 2013 at 6:31pm
Thanks a lot Vijay Ji.
Comment by विजय मिश्र on December 11, 2013 at 4:58pm
बेहतरीन और अन्दाज भी तजा तरीन . बधाई रविजी .
Comment by Ravi Prakash on December 11, 2013 at 10:34am
सराहना तथा उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।
Comment by ram shiromani pathak on December 10, 2013 at 10:33pm

सुन्दर गज़ल के लिये हार्दिक बधाई भाई जी  !!!!

Comment by Ravi Prakash on December 10, 2013 at 10:04pm
ज़र्रानवाज़ी के लिए शुक्रिया रवि जी।
Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on December 10, 2013 at 8:26pm

चमकीले पुतलों के पीछे,
जोगी वाला बाना भी है।

क्या बात कही है आदरणीय रवि जी .....हार्दिक बधाई

Comment by Ravi Prakash on December 10, 2013 at 7:05pm
धन्यवाद तपन जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
14 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service