For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - (रवि प्रकाश)

हमारे नाम का चर्चा हुआ होगा सितारों में।
ज़माना खोजता होगा हमें भी बेसहारों में॥
.
किसी ने हाथ छोड़ा तो बढ़ा के रुक गया कोई,
हमारी तंगहाली भी नज़ारा थी नज़ारों में।
.
छुपाते हैं जिसे दिल में उसे ही छीन लेता है,
न जाने कौन क़ातिल है हमारे राज़दारों में।
.
न मुड़ के देखती है फिर लहर जो लौट जाती है,
बड़ी गहरी उदासी है समंदर के किनारों में।
.
रिवाज़ों के,समाजों के अजब रंगीन किस्से हैं,
वही जिनसे अदावत थी जमा हैं सोगवारों में।
.
'रवी' अपनी ज़ुबानी ये कहानी क्या बयाँ होगी,
वही समझे,वही जाने लुटा हो जो बहारों में॥
.
-मौलिक एवं अप्रकाशित।
-04.12.2013

Views: 996

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Prakash on December 18, 2013 at 8:29pm
इतना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए सभी सुधी जनों का कोटिश: धन्यवाद । कृपया मार्गदर्शन करते रहें।
Comment by Ravi Prakash on December 18, 2013 at 8:28pm
इतना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए सभी सुधी जनों का कोटिश: धन्यवाद । कृपया मार्गदर्शन करते रहें।
Comment by Ravi Prakash on December 18, 2013 at 8:27pm
इतना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए सभी सुधी जनों का कोटिश: धन्यवाद । कृपया मार्गदर्शन करते रहें।
Comment by Ravi Prakash on December 18, 2013 at 8:26pm
इतना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए सभी सुधी जनों का कोटिश: धन्यवाद । कृपया मार्गदर्शन करते रहें।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 18, 2013 at 8:14pm

पूरी ग़ज़ल वाह वाह हुई है.. दिली दाद कह रहे हैं हम, भाईजी.. 

बधाई

Comment by Ravi Prakash on December 8, 2013 at 7:41am
Thanks Anurag Ji..
Comment by Ravi Prakash on December 8, 2013 at 7:36am
आ॰ अभिनव जी,आपको रचना अच्छी लगी, जान कर मन को असीम आनंद प्राप्त हुआ। स्नेह बनाए रखें।
Comment by Abhinav Arun on December 8, 2013 at 5:42am

खूबसूरत कामयाब कलाम के लिए ढेरों मुबारकबाद रवि जी ..

न मुड़ के देखती है फिर लहर जो लौट जाती है,
बड़ी गहरी उदासी है समंदर के किनारों में।
.
रिवाज़ों के,समाजों के अजब रंगीन किस्से हैं,
 वही जिनसे अदावत थी जमा हैं सोगवारों में।...जिंदाबाद वाह वाह !!

Comment by Anurag Singh "rishi" on December 7, 2013 at 11:10pm

behad sundar gazal vah

Comment by Ravi Prakash on December 6, 2013 at 10:31pm
आदरणीय अगम जी, इतना स्नेह और आशीर्वाद देने के लिए कोटिश: धन्यवाद । कृपया मार्गदर्शन करते रहें।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service