For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चलो मिलते हैं वहाँ ........ मीना पाठक

धरती के उस छोर पर 
धानी चूनर ओढ़ कर    
वसुधा मिलती हैं अनन्त से जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!
 
बन्धन सारे तोड़ कर
लहरों की चादर ओढ़ कर
दरिया मिलता है किनारे से जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ!! 

पर्वतों से निकल कर
लम्बी दूरी चल कर
नदियाँ मिलती है सागर से जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ!! 

बसंती भोर में
खिले उपवन में
भँवरे फूलों से मिलते हैं जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!

स्वाति नक्षत्र के
वर्षा की इक बूँद से
तृप्त हो चातक मिलता है जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ!! 

पूनम की रात में
चाँदनी विस्तार से
किलोल करती मिलती हैं जहाँ
चलो मिलतें हैं वहाँ !!
 

जमुना के तट पर
बाँध उमंगो की डोर
मिलती है राधा कृष्ण से जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!

सांसों की लय तोड़ कर
नश्वर काया छोड़ कर
आत्मा परमात्मा से मिलती है जहाँ
चलो मिलते हैं वहाँ !!

मीना पाठक 

मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 831

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on November 30, 2013 at 1:38pm

आदरणीय पंकज त्रिवेदी जी बहुत बहुत हार्दिक आभार स्वीकारें | रचना पर आपकी उपस्थिती मेरे लिए आप का आशीर्वाद है | सादर 

Comment by Meena Pathak on November 30, 2013 at 1:35pm

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश जी | बहुत बहुत आभार स्वीकारें | सादर 

Comment by Meena Pathak on November 30, 2013 at 1:34pm

आदरणीया प्राची जी मैं कई दिनों से इस रचना को ले कर दुविधा मे थी कि मैंने ये क्या लिखा है किसी को पसन्द आएगी भी कि नही OBO पर डालने से डर रही थी पर डरते डरते मैंने इसे पोस्ट कर दिया उसके बाद धड़कते दिल और फिंगर क्रोस कर  बार बार मोबाइल की खिड़की से झाँक झाँक कर देख रही थी,आ० कुन्ती दी, आ० गोपाल जी फिर आप की टिप्पणी ने तो मुझे गद्गद कर दिया | सच मे मेरा लिखना सार्थक हुआ | आप सब की हौसलाफजाई ही मुझे लिखने को प्रेरित करती है | आप की टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है | बहुत बहुत आभार आ० प्राची जी | सादर    

Comment by Meena Pathak on November 30, 2013 at 12:53pm

आदरणीय गोपाल नारायण जी सही कहा आप ने बड़े ही मनोरम स्थल हैं | रचना सराहने हेतु आभार स्वीकारें | सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 30, 2013 at 8:22am

बहुत  ही सुंदर  मनमोहक रचना ,बधाई स्वीकारें आदरणीया मीना दीदी

Comment by annapurna bajpai on November 29, 2013 at 10:51pm

आदरणीया मीना जी बहुत सुंदर भावभिव्यक्ति , सुंदर शिल्प के साथ सुदर रचना बहुत बधाई आपको । ऐसे ही रचनाएँ रचती रहे । 

Comment by Pankaj Trivedi on November 29, 2013 at 9:51pm

मीना जी, आपकी रचनाएँ हमेशा पढ़ता हूँ.. मगर बहुत गहराई की अनुभूति उभर आई है.. कविता को सम्पूर्णता की ओर अग्रेसर करने में आपकी सफलता ने मन मोह लिया.. बधाई 

Comment by बृजेश नीरज on November 29, 2013 at 9:30pm

बहुत ही सुन्दर रचना है! आदरणीया प्राची जी इस रचना के विषय में पहले ही इतना कह चुकी हैं कि अब कहने को कुछ शेष नहीं है.

आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 29, 2013 at 8:12pm

आदरणीया मीना जी 

आपकी इस प्रस्तुति नें बस मोह लिया.... आपकी अब तक की सबसे सुन्दर रचना है ये... और इतनी खूबसूरत की तारीफ़ के लिए शब्द कम हैं 

कथ्य, शिल्प, शब्द चयन, भाव, माधुर्य, रस हर लिहाज से एक अति उन्नत प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 29, 2013 at 7:20pm

मीना जी

बड़े मनोरम स्थल आपने चुने  

इस भावपूर्ण कविता  के लिए आपको भूरि भूरि बधाई  i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service