For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शरीर तोड़ श्रम के बाद

थक-हार लेट गया

खेत की मेढ में पड़ी,

टूटी खटिया पर..

सर्द हवाओं के बीच

गुनगुनी धूप से तन को राहत मिल रही थी..

पर मन को सुकून नही

वो गुनगुना स्पर्श नही

जो कभी किसी स्पर्श से मिलता था..

 

सोचा..उठूँ, थोडा और श्रम करूँ

फिर बेजान हो इक लाश की तरह घर पहुँच कर,

बिस्तर पर छोड़ दूंगा

जो कल भोर होते ही

फिर से जी उठेगा...

 

चल घर तक चल..

घर राह तक रही है तेरी बूढी अंधी माँ

तेरे लिए गर्म पानी किया होगा

खाना संजोयें बैठी होगी..

एक असहाय पिता

जो आज भी

तेरे सिकुड़े शरीर पर दुलाई ओढा देता है..

 

तेरा जीवन सार्थक है,

व्यर्थ की बातों को अपने अन्तर से निकाल

जो दूसरों पर आश्रित रहकर

सुकून देती हों...

चल उठ...

एक छोटे बच्चे की तरह,

ताजगी भरा

अंदाज लेकर करना

उनका सामना

उन्हें सुकून मिले,

अब उनका सुकून ही तो

तेरा सब कुछ है...

जितेन्द्र ' गीत '

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 791

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 25, 2013 at 11:06am

आदरणीय अखिलेश जी, रचना  आपका आशीर्वाद पाकर धन्य हुई, स्नेह बनाये रखियेगा 

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 25, 2013 at 11:00am

आदरणीया राजेश जी, आपने रचना के मर्म को छुआ, यह रचना की सार्थकता का प्रमाण है, आपका हृदय से आभार, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 25, 2013 at 10:57am

भाई राम शिरोमणि जी, रचना पर आपकी उपस्तिथि से मन खुश हो जाता है, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 25, 2013 at 10:53am

आदरणीय शिज्जू जी, रचना को आपका अनुमोदन मिला, मेरा लेखन सार्थक हुआ, आपका हृदय से आभार, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 25, 2013 at 10:03am

आदरणीय डा. गोपाल जी, आपकी प्रतिक्रिया //कविता की बेबसी  मन को छूती है//से मेरी रचना धन्य हुई, आपका हृदय से आभार, स्नेह व् मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 25, 2013 at 9:59am

आपकी उत्साहवर्धन करती प्रतिक्रिया मुझे लेखनकर्म के प्रति मनोबल प्रदान करती है, आपका हृदय से आभार आदरणीय चंद्रशेखर जी, स्नेह बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by vijay nikore on November 25, 2013 at 7:46am

इस रचना में सपाट बयानी कुछ अधिक हो गई।

रचना के भाव अच्छे लगे। बधाई आदरणीय जितेन्द्र जी।

सादर, 

विजय निकोर

Comment by विजय मिश्र on November 23, 2013 at 5:55pm
सिद्ध भावों की सुंदर लड़ी तथा श्रम के साथ संतप्तता का बोध भी और फिर मन को मन का प्रोत्साहन , सब मिलकर एक सुंदर रचना . आत्मीय आभार गीतजी
Comment by अरुन 'अनन्त' on November 23, 2013 at 4:15pm

बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति आदरणीय जीतेंद्र भाई हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by Vindu Babu on November 23, 2013 at 5:22am

आदरणीय गीत जी,

कविता में स्वयं से चलता हुआ वार्तालाप,और फिर महत्वपूर्ण निर्णय पर पहुंचना...बहुत अच्छा लगा।

सादर बधाई स्वीकारें इस सुन्दर रचना के लिए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service