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!!! दीवाली क्या चीज है !!!

जीवन का उद्देश्य सम, हर पल रहें प्रसन्न।
मृत्यु काल के घाट पर, नहीं पूंछती प्रश्न।। 1

सदा दिया के सम बनो, उजला रहे समाज।
निश-दिन पाप मुक्त तभी, कर दीवाली आज।। 2

यह प्यारा संसार है, दीन-हीन के संग।
दीपक जिनके घर नही, उनके लिए पतंग।। 3

लक्ष्मी को पूजें सभी, धनतेरस है कमाल।
बहू हमारी कर्ज सी, नित झगड़ा जंजाल।। 4

आलम-गौरव गले मिलें, होली हो या ईद।
नेता झंझट कील से, उकसाते बकरीद।। 5

के0पी0 सत्यम-मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 10, 2013 at 11:57am

आ0 सुशील भाईजी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार। सादर

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 9:25am

सार्थक दोहों हेतु बहुत बहुत बधाई आ0 केवल भाई.....

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 6:08pm

आ0 जितेन्द्र भाईजी,    आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 6:05pm

आ0 सौरभ सर जी,  जी सर!  मेरी बात में समझ में आ गई थी, कि यह दोहे छन्द के अनुरूप नहीं है।  इसलिए ही दो पंक्तियों में अपनी बात को शीर्षक के माध्यम से कहना उचित समझा।  आपके स्नेह और यथोचित मार्गदर्शन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 5:56pm

आ0 विजय भाई जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 5:55pm

आ0 रामशिरोमणि भाई जी,  वास्तव में मैं दोहे ही लिख रहा था, किन्तु समाज में बढ़ते पापाचार और महंगाई से मैं विलग नहीं हो सका और सुर बदल गये। मैं समझता हूं कि मनुष्य उलटवासियों या व्यंग से शीघ्र समझ लेता है, बनिस्बत सरल मृदु बात के इसीलिए मैंने दोहे न लिख कर शीर्षक "दीवाली क्या चीज है?" से उद्गार किया।  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 5:42pm

आ0 लड़ीवाला  सर जी,  आपके स्नेह और उत्साहवर्धन हेतु आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on November 5, 2013 at 5:40pm

आ0 अरून निगम सर जी,  वाह! बहुत सुन्दर सकारात्मक दोहे।  वाह! मन प्रसन्न हो गया। यह मेरे जहन में छप गया।  आपका तहेदिल से बहुत-बहुत आभार।  सादर,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 5, 2013 at 8:27am

अपनी सुंदर दोहावली के माध्यम से, बहुत सार्थक सन्देश दिया है, आदरणीय केवल जी, बहुत बहुत बधाई स्वीकारें


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 4, 2013 at 11:43pm

भाई राम शिरोमणि के कहे का मैं भी समर्थन करता हूँ.

शुभेच्छाएँ

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