For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाने को तैयार ससुराल मैं,
देख रहा था आर्इना बार बार मैं।
सूझी तभी हमें  शरारत,
आइने से बोल पडा।
बता मेरे यार कैसा लग रहा मैं,
कैसी दिखती मेरी सूरत है।,
आर्इना घीरे से बोला,
अच्‍छे दिख रहे हेा,ठीक दिखते हेा।
आईने का जबाब पसंद ना आया,
मैं बोला ठीक से बात यार।
तब आर्इना  थोडा मुस्‍कुराया ,
थोडा गुनगुनााया ,
फिर उदास होकर बोल पडा।
यार मैं आर्इना हँ,दपर्ण हूँ,
प्रतिरूप दिखाता हूँ
सूरत आपकी अच्‍छी है,
मगर नीयत का पता नहीं ।
कपडे ठीक है मगर, 
दिल का पता नहीं ।
अब सूरत से नहीं
समझ में आती सिरत है।
राम के भेष में ही,
अब रावण है ।
समाज को दिखाने वाला आईना,
धुधँला हो गया है, बिक गया है।
मालिक का वफदार हेा गया है ,
खो गया है उसका वजूद है।
मैं तेरी सूरत का हाल क्‍या बताउ, 
आज तो खूद अपना
वजूद तलाश रहा हूँ ।
लुप्‍त  सभ्‍य समाज में,
अपना चेहरा तलाश रहा हूँ।
मेरी बातो का बुरा ना मानना ,
अब मैं भी सीख गया हूँ।
सचाई दिखाना भूल गया हूँ,
जमाने के साथ चल रहा हॅू ।
जो जैसा चाहेगा बैसी,
तस्‍वीर दिख राह हूँ।
अस्तित्‍व मिटाने वाले पत्‍थरो से,
खुद को बचा रहा हूँ।
मै आज का आईना हूँ,
जो, जो चाहे वह दिखा रहा हूँ।
और अस्तित्‍व मिटाने बाले,
पत्‍थरों से अखंड खुद को बचा रहा हूँ।
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 5:26am

इस सार्थक रचना हेतु बहुत बहुत बधाई आ0 अखंड गहमरी जी...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 3, 2013 at 3:01pm

वक़्त के साथ बहुत कुछ बदलता जा रहा है. गंभीर बात सहजता से कह गए. बधाई.........

शुभ दीपावली.............

Comment by बृजेश नीरज on November 3, 2013 at 11:27am

अच्छी रचना है! आपको हार्दिक बधाई!

कहन की गहनता की कमी इस तरह की रचना में गद्यात्मकता को प्रभावी कर देती हैं.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 3, 2013 at 12:15am

आदरणीय अखंड गहमरी जी सबसे पहले इस खूबसूरत रचना के लिये तो बधाई स्वीकार करें,
हिन्दी के लिये इस लिंक को देखिये शायद आपको सुविधाजनक लगे http://www.branah.com/hindi

Comment by annapurna bajpai on November 2, 2013 at 11:34pm

सुंदर रचना आ0 गहमरी जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 1, 2013 at 6:23pm

आदरणीय सुन्दर व्यंग रचना के लिये बधाई !!!!

आदरणीय आप कौन सा साफ़्ट वेयर उपयोग कर रहे हैं ?  हिन्दी लिखने के लिये , ये जान कर ही कुछ सलाह दिया जा सकता है !!!!!

मै हिन्दी आई. एम. ई . उपयोग करता हूँ  !!!!

Comment by Akhand Gahmari on November 1, 2013 at 3:49pm

आदरणीये अखिलेश जी सर्व प्रथम आपको धन्‍यवाद मैं विनम्रता के साथ आप को अवगत कराना चाहता हॅू कि काफी सावधानियों के वावजूद कुछ गलतीया हमसे हुई जैसे बात यार।

मगर उ के जगह पर बडा उ अक्षरो के नीचे बिन्‍दी जैसे कपडो के नीचे बिन्‍दी सही दावरा ये शब्‍द हमसे नहीं लिखा पा रहे है इस कारण कुछ अशु्धी (जैसे ये शब्‍द गलत लिखा है) हो रही है यहा तक की आधा फ  कष्‍ण में क के नीचे की मात्रा राष्‍ट में ट के नीचे की मात्रा इत्‍यादि  भी नही लिखा पाता है अत: इसे सही करने का प्रयास जारी है सफलता मिलते ही यह दूर हो जायेगा यदि आपके पास कोई विधि हो तेा बताने का कष्‍ट करेंगें   आपके सहयोग का आकांक्षी अखण्‍ड गहमरी

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 1, 2013 at 3:32pm

अखंड गहमरी जी कविता अच्छी है, बधाई। मात्रा और टंकण की त्रुटियां ज्यादा है, सुधार लीजिए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service