For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जलाऊं दीपक कैसे

कुल बीते दिन चार ,चमन का खोया माली

रोते पुहुप हजार ,कहाँ कैसी दीवाली

व्यथित उत्तराखंड ,तबाही कैसे भूले

आँसू मिश्रित आग ,जलेंगे कैसे चूल्हे

बिना तेल के दीप ,जलेगी कैसे बाती

बिना राग संगीत ,मुरलिया कैसे गाती

मृत्यु नृत्य निर्बाध ,जहाँ खेली थी  होली

सने लहू से द्वार ,कहाँ बैठे रंगोली

कुदरत ने दी मार ,धरा अम्बर तक रूठे

रह-रह उठते टीस ,मिले जो जख्म अनूठे

औरों का दुख देख , मनाऊं खुशियाँ  कैसे

बगल घर अन्धकार , जलाऊं दीपक  कैसे 

खुशियों के हों रंग ,भरे उनकी भी झोली

 चौखट जाए सूख   ,सजे उस पर  रंगोली

मिल जाएं परिवार ,बढ़े उनकी खुशहाली 

भरो प्रेम से जख्म , मनाओ फिर  दीवाली

(मौलिक एवं अप्रकाशित) 

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 12, 2013 at 3:04pm

प्रिय गीतिका आपने रचना के मर्म को दिल से महसूस किया और प्रतिक्रिया दी एक सच्चे पाठक का धर्म निभाया ,मुझे इस बात की तसल्ली हुई की रचना अपनी गंभीरता दिखाने में सक्षम हुई लेखन सार्थक हुआ ,दिल से आभार आपका. 

Comment by वेदिका on November 12, 2013 at 2:20pm

परपीड़ा को पंक्तिबद्ध कर आपने कविधर्म निभाया| इस दीवाली के दिये को आपने सही रोशनी दी|  आपकी रचना पढ़ कर हृदय द्रवित हो आया|

आपको अनेकानेक शुभकामनायें प्रेषित हैं आदरणीया राजेश दीदी!   


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 9:44am

राजेश मृदु जी आपको इस प्रस्तुति ने प्रभावित किया मेरा लिखना सार्थक हुआ हृदय तल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 9:42am

प्रिय राम पाठक जी इस रोला गीत ने आपके दिल को छुआ ,हृदय तल से आभार आपका. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 9:41am

आदरणीया अन्नापूर्णा बाजपेई जी रचना के मर्म को दिल से महसूस किया आपने ,मेरा लेखन सार्थक हुआ दिल से आभार आपका.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 9:39am

प्रिय संदीप कुमार जी इस उत्साह वर्धन हेतु दिल से आभार आपका 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 9:38am

आदरणीय विजय निकोर जी आपका हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 9:34am

एक सच्चे पाठक का धर्म निभाते हुए रचना के मर्म को दिल से महसूस कर ,जीतेन्द्र गीत जी ,आपकी प्रतिक्रिया ने अभिभूत किया,मेरा लेखन सार्थक हुआ,हृदय तल से आभार आपका.   


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 9:01am

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी इस  रोला गीत  के मर्म ने आपके दिल को प्रभावित किया मेरा लेखन सार्थक हुआ हृदय तल से आभारी हूँ. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2013 at 8:59am

आदरणीय सुशील जोशी जी रचना का मर्म आपको प्रभावित कर सका ,लेखन सार्थक हुआ ,दिल से आभार आपका. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
9 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
18 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
18 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service