For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बलिष्ठ हुआ कलि है

रे मन न झूम आज स्वर्णिम प्रभा को देख......कृत्रिम प्रकाश देती दीप की अवलि है
पागल पवन रक्तपात में है अनुरक्त...................वक्त है विवेकहीन होती नरबलि है
देख अति पीड़ित सुरम्यताविहीन कली..लज्जा त्याग के खड़ी ठगा सा खड़ा अलि है
व्याघ्र अति चिन्तित कि गर्दभ चुनौती बना व्यापक दिशा दिशा बलिष्ठ हुआ कलि है

सर्वथा मौलिक एवं अप्रकाशित रचना---

रचनाकार
डॉ आशुतोष वाजपेयी
ज्योतिषाचार्य
लखनऊ

Views: 602

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on November 8, 2013 at 6:12pm

giriraj ji abhaar

raam shiromani ji abhaar

pradep kumaar ji abhaar

vijay mishra ji abhaar

sushil joshi ji abhar

annapurna ji abhaar

Comment by annapurna bajpai on October 30, 2013 at 6:44pm

बहुत ही बढ़िया आ0 आशुतोष वाजपेई जी । बधाई आपको । 

Comment by Sushil.Joshi on October 29, 2013 at 10:03pm

इस लघु सार्थक भावाभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई आ0 आशुतोष जी....

Comment by विजय मिश्र on October 29, 2013 at 4:09pm
सत्य ही कलि की कुरूपता को सुंदर लय में बखाना है आशुतोषजी . प्रसंशनीय .
Comment by Pradeep Kumar Shukla on October 29, 2013 at 11:50am

waah ... bahut sundar ... badhai aur dhanyavaad Dr. Ashutosh Vajpayee ji

Comment by ram shiromani pathak on October 29, 2013 at 11:17am

 वाह  आदरणीय आशुतोष जी ,   इस प्रवाहमय  रचना के लिए बहुत बहुत बधाई///सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 29, 2013 at 9:52am

आदरणीय आशुतोष भाई , कलियुग की वास्तविकता परिभाषित करती आपकी इस रचना के लिये आपको ढेरों बधाई !!!!!

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on October 29, 2013 at 9:49am

आपने अभिभूत कर दिया अखिलेश कृष्ण जी बहुत बहुत धन्यवाद और आभार रचना को मान देने  के लिए 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 28, 2013 at 9:52pm

कलिकाल में सब कुछ उल्टा ही होना है । देश, समाज  की शर्मसार करने वाली रोज की घटनाओं  को देखो तो लगता है कलियुग जवानी की दहलीज पर कदम रख चुका है और हमारे ही कुसंस्कारों और  ढुलमुल नीति  से युवा पीढ़ी बेलगाम हो रही है। कुछ कठोर निर्णय लें या फिर किसी अवतार की प्रतीक्षा करें , भारत  के उद्धार के लिए । बधाई आशुतोष भाई छोटी किंतु सारगर्भित रचना के लिये। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
Tuesday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service