For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आशीर्वाद ( लघु कथा )

आशीर्वाद !!

 

वह कोई नब्बे के आस पास वृदधा रही होगी जो सामान सहित अपने ही घर के बाहर बैठी थी न जाने क्या अँड बंड बड़बड़ा रही थी । लोग सहनुभूति से देखते और और चल देते किसी ने हिम्मत भी की उससे जानने की तो वह ठीक ठीक नहीं बता पा रही थी । पता नहीं क्रोध की अधिकता थी या ममता और दुःख का मिश्रित भाव था जो शब्द न निकल रहे थे । बेटा कुछ दिनों से बाहर गया हुआ था और घर पर बहू अकेली थी , उस बेचारी बूढ़ी सास को उसकी बहू ने अपनी आफत समझ कर घर से बाहर कर कर दिया था । बूढ़ी सास बाहर बैठी बेटे का इंतजार कर रही थी कि बेटा आयेगा और वह उसकी व्यथा को समझेगा , बेटा आया माँ को बाहर समान सहित बैठे देखा लेकिन उसने एक नजर भी माँ पर न डाली चुपचाप अंदर चला गया । अंदर जाते ही पत्नी ने रो रो कर अपनी गाथा कह सुनाई । थोड़ी देर बाद बेटा बाहर आया , माँ ने सोचा शायद मुझे ले जाने आया है । परंतु यह क्या ? वह तो उसका समान ही उठा ले चला । माँ ने देखा बेटा घर मे न जा बाहर की ओर जा रहा है , बाहर आकार उसने एक रिक्शा रोका उसमे उनका समान रख दिया । माँ आवक सी उसे देखती रही कि वह क्या कर रहा  है । उसने रिक्शे वाले से कहा ये जहां कहे उन्हे वहाँ छोड़ देना और वह घर के अंदर चला गया । बेबस माँ के मुंह से केवल एक ही शब्द निकला – “जीते रहो बेटा , सुखी रहो । “

अप्रकाशित एवं मौलिक 

Views: 1336

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विजय मिश्र on October 10, 2013 at 1:01pm
अविश्वसनीय आचरण की प्रस्तुति किन्तु आजके श्रवणकुमार का सही रूपांकन . नए कमासुतों की दुनिया बौरा गयी है अत्याधुनिक बनने के चक्कर में . सहनशीलता का अर्थ परिवार ,समाज से विलुप्त हो रहा है ,लोगों की दृष्टि क्षुद्र होती जा रही है . सुंदर कथानक .साधुवाद अन्नपूर्णाजी .
Comment by Ravi Prabhakar on October 10, 2013 at 12:06pm

आदरणीय अन्नापूर्णा वाजपेयी जी,
सादर प्रणाम ।
“जीते रहो बेटा, सुखी रहो”  आपकी लघु कथा सीधे दिल में उतर गई, क्या सुन्दर मनोभावों का चित्रण किया है आपने। आपने जिस प्रकार हृदय स्र्पशी एवं मार्मिक चित्रण प्र्रस्तुत किया है वह अद्भुत है। आपको दिल से बधाई। बुर्जुगों का इतना घोर तिरस्कार ! तौबा !!! परन्तु क्या सभी बुराईयों की जड़ पश्चिमी सभ्यता को ग्रहण किया जाना ही है। शायद नहीं। बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय- यह पंक्ति बिल्कुल ठीक प्रतीत होती है। एक बार फिर से आपको हार्दिक शुभकामनाएं। भविष्य में आपकी प्रस्तुतियों का इंतजार रहेगा।

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on October 10, 2013 at 9:10am

माँ बाप के साथ ऐसा सलूक पश्चिमी सभ्यता की देन है जो महानगरों से होकर पूरे भारत में फैलता जा रहा है। वहाँ वृद्धा आश्रम का चलन है अब भारत में भी प्रारंभ हो गया है। जिसकी भाषा सीखेंगे उसकी असभ्यता/ अपसंस्कृति  भी आएगी हम बच नहीं सकते। अन्नापूर्णा जी मार्मिक कथा की बधाई । 

Comment by vandana on October 10, 2013 at 7:17am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी इस स्थिति को देखकर मन जार जार रोता है पर हम चाह कर भी सुधार नहीं कर पाते ...!!!

सुन्दर चैतन्य भावों के लिए आपको बहुत बहुत बधाई 

Comment by Sushil.Joshi on October 10, 2013 at 6:00am

बेहद मार्मिक कथा है आदरणीया अन्नपूर्णा जी..... मनोभावों के सुंदर समावेश के लिए बधाई हो आपको....

Comment by Shubhranshu Pandey on October 9, 2013 at 10:00pm

आदरणीया अन्न्पूर्णा जी,  एक सुन्दर कथा, भाव बहुत सुन्दर बन पडे़ हैं

लेकिन शिल्प के लिये एक बार फ़िर से जाब टेबल से हो कर गुजारा जा सकता है. कथा के प्रवाह में बाधा आ रही है.

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
5 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
7 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service