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माँ शारदा !!! ( वंदना )

हे! कमल पर बैठने वाली सुंदरी भगवती सरस्वती को मेरा प्रणाम । तुम सब दिशाओं से पुजजीभूत हो । अपनी देह लता की आभा से ही क्षीर समुद्र को अपना दास बनाने वाली , मंद मुस्कान से शरद ऋतु के चंद्रमा को तिरस्कृत करने वाली............  

    माँ शारदा !!!

मार्ग प्रशस्त करो माँ अम्ब जगदम्ब हे !

आपकी शरण  हम है माँ अम्ब जगदम्ब हे ! ........

श्वेत कमल विराजती वीणा कर धारती हे !

श्वेत हंस वाहिनी माँ श्वेताम्बर धारणी हे !

कमल सदृश नयन माँ भाग्य अनूपवती हे !

हरी हर से पुज्जित माँ हृदय मे वासती हे !

आपकी शरण मे हम है माँ जगदम्ब हे ! …………

दश दिशाएँ तुम्हें पुकारें माँ दूर करो अज्ञान हे !

देकर अपने कर से माता सुलभ सुज्ञान हे !

बने सभी बुद्धि विवेकी माँ दूर हो अज्ञान हे !

बम्ह सेविता हो कर माँ बाँचती ब्रम्ह ज्ञान हे  !

आपकी शरण हम है, माँ अम्ब जगदम्ब हे !! ................. अन्नपूर्ण बाजपेई

 

 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

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Comment by annapurna bajpai on October 17, 2013 at 11:39pm

आदरणीय दिलीप कुमार जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by दिलीप कुमार तिवारी on October 11, 2013 at 12:42am

आदरणीया अन्नपूर्ण ...जी माँ जगदम्बे की आराधना नवरात्र पर सादर  बधाई . .

Comment by annapurna bajpai on October 10, 2013 at 12:54pm

आदरणीय सुशील जोशी जी आपकी टिप्पणी ने मनोबल को बढ़ा दिया है आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Sushil.Joshi on October 10, 2013 at 6:08am

सुंदर भावों से सुसज्जित माँ शारदे की वंदना..... बधाई हो आदरणीया अन्नपूर्णा जी..... माँ शारदे आपकी लेखनी को और भी अधिक प्रशस्त करे, ऐसी कामना करता हूँ......

Comment by annapurna bajpai on October 9, 2013 at 7:52pm

आदरनीय निकोर जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on October 9, 2013 at 7:52pm

आदरणीय विजय मिश्र जी आपका आशीर्वाद यूं ही मिलता रहे । सादर 

Comment by annapurna bajpai on October 9, 2013 at 7:51pm

आदरणीय भंडारी जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by vijay nikore on October 9, 2013 at 2:10pm

वंदना में बहुत सुन्दर भाव पिरोय हैं , आदरणीया अन्नपूर्णा जी। बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by विजय मिश्र on October 9, 2013 at 1:58pm
देवी माँ का ही समय है और माताजी की भाव भरी वंदना ,सबों को पाठ का पुण्यलाभ मिले . रचना फलवती हो . साधुवाद अन्नपूर्णाजी .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 9, 2013 at 1:54pm

आदरणीया अन्ंपूर्णा जी , बहुत सुन्दर माँ सरस्वती वन्दना , और सुन्दर प्रार्थना  भी !!! बधाई !!!

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